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पटना : नये साल में राजनीतिक दलों के लिए होंगी नयी चुनौतियां

पटना : नये साल 2020 में राजनीतिक दलों को नयी चुनौतियों से रू-ब-रू होना पड़ेगा. नये साल में विधानसभा का चुनाव होना है. 15 जनवरी को खरमास खत्म होते ही सियासी पारा चढ़ने लगेगा. जनवरी और दिसंबर को छोड़ दें, तो बाकी के 10 महीने चुनावी बिसात की गोटियां बिछाने व शतरंज के खेल में […]

पटना : नये साल 2020 में राजनीतिक दलों को नयी चुनौतियों से रू-ब-रू होना पड़ेगा. नये साल में विधानसभा का चुनाव होना है. 15 जनवरी को खरमास खत्म होते ही सियासी पारा चढ़ने लगेगा. जनवरी और दिसंबर को छोड़ दें, तो बाकी के 10 महीने चुनावी बिसात की गोटियां बिछाने व शतरंज के खेल में शह और मात की चाल में ही पूरा समय बीत जायेगा. नये साल में सत्ताधारी दल जदयू व भाजपा को जहां अपनी कुर्सी बचाने की चुनौती होगी. वहीं, विपक्ष में रहे राजद व कांग्रेस जैसी पार्टियां भी सरकार बनाने के दावे के साथ मैदान में उतरेगी.
वामदल व रालोसपा, लोजपा, हम जैसी पार्टियों को अपनी ताकत बढ़ाने के लिए एंड़ी चोटी एक करना होगा. 243 सदस्यीय विधानसभा में अभी राजद के 81 विधायक हैं और वह सदन की सबसे बड़ी पार्टी है. जबकि, जदयू के 70 और भाजपा की 54 सदस्यों की साझा ताकत से सरकार चल रही है. कांग्रेस के 26 विधायक हैं. लोजपा के दो, भाकपा माले की तीन, एआइएमएआइएम के एक और हम के एक विधायक हैं. वहीं, पांच निर्दलीय विधायक भी सदन में हैं.
विधानसभा में जहां मौजूदा सदस्यों को अपनी सीटें बचाने की अग्निपरीक्षा से गुजरना है. वहीं, 75 सदस्यीय विधान परिषद में 29 सीटों पर चुनाव होने वाले हैं. इनमें कम-से-कम एक तिहाई नये चेहरे आने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता.
जदयू, भाजपा, कांग्रेस और राजद के अध्यक्षों व महासचिव की राय
सरकार बनाना जदयू की सबसे बड़ी चुनौती
राज्य में जदयू के लिए नये साल में विस चुनाव जीतकर सरकार बनाना बड़ी चुनौती होगी. लोस चुनाव में राज्य की 218 विस क्षेत्रों में एनडीए गठबंधन को बढ़त हासिल थी. इसे जीत में बदलना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है. राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी कहते हैं कि 2020 का बिहार विस चुनाव राज्य के बाहर एनडीए गठबंधन के बारे में सकारात्मक संदेश देगा.
गलत धारणाओं को तोड़ना बड़ी चुनौती
नया साल 2020 में मुख्य विपक्षी दल चुनाव जीतने को लेकर रणनीति बनाने में जुटी है. प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि पार्टी के सामने एक मात्र और सबसे बड़ी चुनौती उसके विरोधियों व कथित बुद्धिजीवियों की तरफ से राजद के बारे में बनायी गयी उस गलत धारणा को तोड़ना है, जिसके अनुसार कह दिया जाता है कि राजद में अच्छे लोग नहीं है. जबकि ये धारणा अाधारहीन है.
दो-तिहाई बहुमत से सरकार बनानी चुनौती
नये वर्ष में भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती के बारे में प्रदेश अध्यक्ष डाॅ संजय जायसवाल ने बताया कि दो-तिहाई बहुमत से एनडीए की फिर से सरकार बनाना ही सबसे बड़ी चुनौती उनके सामने है. साथ ही यही लक्ष्य भी उन्होंने नये साल में निर्धारित कर रखा है. इसके मद्देनजर ही उनकी पार्टी तमाम प्रयास करेगी. बल्कि, इसे लेकर अभी से भाजपा तैयारियों में जुट गयी है.
जनता के अधिकारों की सुरक्षा रहेगी चुनौती
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डाॅ मदन मोहन झा बताते हैं कि भाजपा शासनकाल में राजनीतिक दलों की बड़ी चुनौती है संविधान बचाने की. विस चुनाव को देखते हुए राज्य में कांग्रेस के संगठन को सशक्त बनाने की भी चुनौती है. इस दिशा में प्रदेश कमेटी का गठन से लेकर जिलों में सक्रिय रूप से योगदान नहीं करनेवाले नेतृत्व में बदलाव किया जायेगा. लोगों का विश्वास हासिल करना उद्देश्य होगा.

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