अमित व रजनी प्रिया नोटिस के बाद भी नहीं हुए हाजिर
पटना : राज्य के बहुचर्चित सृजन घोटाले के मुख्य आरोपितों में शामिल अमित कुमार और उसकी पत्नी रजनी प्रिया की संपत्ति की कुर्की-जब्ती सीबीआइ जल्द करने वाली है. इसके लिए सीबीआइ विशेष अदालत में आवेदन की तैयारी कर रही है. अमित कुमार और रजनी प्रिया सृजन सहकारी संस्थान के निदेशक हैं.
अमित इस संस्थान को स्थापित करने वाली स्वर्गीय मनोरमा देवी के बेटे हैं. इस घोटाले के उजागर के होने के बाद से दोनों लगातार फरार चल रहे हैं. सीबीआइ ने इनसे पूछताछ करने के लिए इन्हें हाजिर होने से संबंधित कई नोटिस जारी किये थे.
इसके बावजूद ये हाजिर नहीं हुए. इसके बाद भागलपुर के तिलका मांझी थाना क्षेत्र स्थित इनके दो आलीशान घरों पर सितंबर महीने में ही नोटिस चिपका कर एक महीने में उपस्थित होने की सूचना दी गयी. एक महीना से ज्यादा बीतने के बाद भी ये दोनों अब तक उपस्थित नहीं हुए हैं. अब इनकी संपत्ति जब्त करने की अंतिम कार्रवाई ही बची हुई है. इसके लिए सीबीआइ ने कवायद शुरू कर दी है.
सृजन घोटाले की सीबीआइ सितंबर, 2017 से कर रही है जांच
अब तक हो चुकी है 18 एफआइआर, डेढ़ दर्जन आरोपितों की भी हो चुकी है गिरफ्तारी, 23 बनाये गये हैं अभियुक्त सृजन घोटाले की जांच सीबीआइ सितंबर, 2017 से कर रही है. इसमें अब तक 18 एफआइआर दर्ज की जा चुकी है, जिसमें अमित कुमार और रजनी प्रिया समेत 23 अभियुक्त बनाये गये हैं. इस मामले में अब तक करीब डेढ़ दर्जन अभियुक्तों की गिरफ्तारी हो चुकी है. इसमें अलग-अलग बैंकों के वर्तमान और पूर्व मैनेजर के अलावा अमीन, एडीएम व डीसीएलआर समेत अन्य सरकारी कर्मी ही शामिल हैं.
अब तक इसमें गिरफ्तारी की गाज बैंककर्मी और सरकारी सेवकों पर ही मुख्य रूप से गिरी है, परंतु अब सीबीआइ इनसे जुड़े अन्य आरोपितों खासकर पैसे लेने वाले या इससे व्यवसाय करने या इसे बाजार में चलाने वालों पर भी कार्रवाई करने जा रही है. इस मामले की सबसे अहम कड़ी अमित कुमार और रजनी प्रिया हैं. इनकी गिरफ्तारी के बाद कई निजी और रसूखदार लोगों के नाम सामने आ सकते हैं.
इन दोनों की गिरफ्तारी के लिए सीबीआइ ने कुछ दिनों पहले कई स्थानों पर छापेमारी भी की थी, परंतु कोई अहम सुराग हाथ नहीं लगा. बीच में यह भी सूचना आयी थी कि ये दोनों झारखंड में एक रसूख वाले नेता के यहां छिपे हुए हैं. उस नेताजी ने इन्हें काफी संरक्षण भी दिया है, परंतु कोई ठोस सबूत नहीं मिलने के कारण छापेमारी नहीं हो सकी. हालांकि, इनकी तलाश अब भी सीबीआइ कर रही है.