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दूसरे दलों से आकर चुनाव लड़ने वालों को खोज रही है कांग्रेस
पटना : प्रदेश कांग्रेस को लोकसभा चुनाव लड़ने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री शत्रुघ्न सिन्हा, कीर्ति आजाद, शाश्वत केदार, लवली आनंद, शेखर सुमन सरीखे बड़े नेताओं का इंतजार है. चुनाव बीते तीन माह से अधिक हो गये, अब तक प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में इनका कोई अता-पता नहीं है. प्रदेश मुख्यालय भी इनका आना-जाना नहीं है. […]
पटना : प्रदेश कांग्रेस को लोकसभा चुनाव लड़ने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री शत्रुघ्न सिन्हा, कीर्ति आजाद, शाश्वत केदार, लवली आनंद, शेखर सुमन सरीखे बड़े नेताओं का इंतजार है. चुनाव बीते तीन माह से अधिक हो गये, अब तक प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में इनका कोई अता-पता नहीं है. प्रदेश मुख्यालय भी इनका आना-जाना नहीं है. इनमें शत्रुघ्न सिन्हा पटना साहिब से, कीर्ति आजाद धनबाद से, शाश्वत केदार पश्चिम चंपारण से लोकसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवार थे.
जबकि, शेखर सुमन पूर्व के चुनाव में पार्टी उम्मीदवार बनाये गये थे. लवली अानंद इस बार कांग्रेस में शामिल हुईं, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल पाया. निष्ठावान कार्यकर्ताओं में उदासी है. पार्टी की अवसरवादिता की राजनीति का ही नतीजा है कि कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव रहे डाॅ शकील अहमद को लोकसभा चुनाव 2019 में बागी बनकर चुनावी मैदान में उतरना पड़ा. अब वह कांग्रेस में फिर से प्रवेश करने की जुगत में हैं.
राजद में टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस में आने वाले प्रदेश अभियान समिति के अध्यक्ष डाॅ अखिलेश प्रसाद सिंह को राज्यसभा की सीट से नवाजा गया. चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष रहते हुए इनके पुत्र महागठबंधन में दूसरी पार्टी का उम्मीदवार बने. पार्टी नेताओं का मानना है कि कोई भी व्यक्ति पार्टी में दो कारणों से जुड़ा रहना चाहता है.
पहला उस पार्टी का सुनहरा भविष्य और दूसरा कार्यकर्ताओं का उचित सम्मान. यहां दोनों का अभाव है. प्रदेश कांग्रेस में कुछ ऐसे निष्ठावान कार्यकर्ता हैं जिनका अब तक विश्वास नहीं डिगा है. निष्ठावान सिपाहियों में एचके वर्मा, अनिल कुमार शर्मा, डाॅ समीर कुमार सिंह जैसे लोगों को पार्टी ने अवसर ही नहीं दिया.
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