पटना : उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा है कि लालू प्रसाद को जमानत मिलने या न मिलनेे से अब जनता को कोई फर्क नहीं पड़ता. चारा घोटाले के एक मामले में जमानत मिलने से इतना जरूर हुआ कि फिलहाल न्यायपालिका पर जातिवादी टिप्पणी करने वाली आवाजें शांत हैं.
राजद के लोग चुनाव आयोग, विधायिका व न्यायपालिका जैसी संवैधानिक संस्थाओं के विपरीत फैसले का आदर करना नहीं जानते. 2014 के संसदीय चुनाव में जब नरेंद्र मोदी के विकास माॅडल को व्यापक समर्थन मिलने से 30 साल बाद पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी, तब राजद-कांग्रेस जैसे विरोधी दल अपनी परिवारवादी, जातिवादी व घोटालों में डूबी राजनीति को जिम्मेदार मानने के बजाय जनता के फैसले को कोस रहे थे. हकीकत तो यह है कि गरीबों-दलितों-पिछड़ों को झांसा देकर जिन्होंने घोटाले किये और बेनामी संपत्तियां बनायीं, उनके झांसे में आना लोगों ने बंद कर दिया है.
मोदी ने कहा कि इस साल अप्रैल में सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में 39 पेज का हलफनामा दायर कर कहा था कि लालू प्रसाद ने सजा सुनाये जाने के बाद एक दिन भी जेल में नहीं बिताया, बल्कि खराब सेहत का हवाला देकर आठ महीने से अस्पताल में हैं. उन्होंने अपनी जमानत याचिका में कोर्ट को गुमराह करने वाले दावे किये थे.