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पटना : 43 साल से लंबित है परियोजना
उत्तर कोयल सिंचाई परियोजना पर अब जल्द शुरू होगा काम पटना : बिहार और झारखंड की अधूरी महत्वाकांक्षी उत्तर कोयल सिंचाई परियोजना को करीब 43 साल बाद अब पूरी होने की उम्मीद है. इसके पूरा होने की समय सीमा मार्च 2020 है. इसके पूरा होने पर बिहार के गया और औरंगाबाद जिलों के करीब एक […]
उत्तर कोयल सिंचाई परियोजना पर अब जल्द शुरू होगा काम
पटना : बिहार और झारखंड की अधूरी महत्वाकांक्षी उत्तर कोयल सिंचाई परियोजना को करीब 43 साल बाद अब पूरी होने की उम्मीद है. इसके पूरा होने की समय सीमा मार्च 2020 है.
इसके पूरा होने पर बिहार के गया और औरंगाबाद जिलों के करीब एक लाख 11 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा मिल सकेगी. फिलहाल कुछ बने हिस्सों से नहर में पानी आने के बाद फसलों को सिंचाई का पानी दिया जाता है. इस बार अब तक नहर में पानी नहीं आया है. बारिश का इंतजार है.
जल संसाधन विभाग के सूत्रों का कहना है कि बीते 5 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अधूरे कार्य को पूरा करने के लिए शिलान्यास किया था. इसके बाद पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग से जल संसाधन विभाग को स्टेज टू क्लीयरेंस का पेच फंस गया था. इस पर 28 मार्च को सहमति बनने के बाद चुनाव आचार संहिता लागू होने से एनओसी नहीं मिल सकी. अब आचार संहिता हटने और केंद्र सरकार के गठन के बाद एनओसी मिलने की संभावना है.
इसके बाद काम शुरू होगा. फिलहाल उत्तर कोयल सिंचाई परियोजना के तहत मोहम्मदगंज बराज से निकले 11 किमी लंबे बायीं मुख्य नहर का मेंटनेंस (पक्कीकरण) हो रहा था. इसके बाद दायीं मुख्य नहर और उसकी शाखा नहर का मेंटनेंस होगा. केंद्र, बिहार और झारखंड सरकार के बीच हुए करार के अनुसार अधूरे काम को पूरा करने के लिए राशि केंद्र सरकार देगी. वहीं झारखंड में बायीं मुख्य नहर व दायीं मुख्य नहर और उसकी शाखा नहरों का मेंटनेंस का 60 प्रतिशत केंद्र सरकार व 40 प्रतिशत झारखंड सरकार वहन करेगी.
परियोजना की कुल लागत 23 अरब 91 करोड़ 36 लाख रुपये आंकी गयी है. पूर्व में इस परियोजना के अंतर्गत मंडल डैम के डूब क्षेत्र में आने वाले कुल 634 परिवारों को मुआवजा दिया गया था. लेकिन, काम पूरा नहीं होने से उनका विस्थापन और पुनर्वास नहीं हो सका.
वर्तमान में डूब क्षेत्र में रहने वाले 780 परिवार विस्थापित होंगे. सभी 780 परिवारों को एकमुश्त 15 लाख रुपये मुआवजा दिया जायेगा.
क्या कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में जल संसाधन विभाग में औरंगाबाद स्थित सिंचाई सृजन के चीफ इंजीनियर ईश्वर चंद्र ठाकुर ने बताया कि पुरानी लाइनिंग खराब हो गयी है, उसकी मरम्मत होगी. साथ ही गया जिले के हिस्से में बीच-बीच में नहर की मरम्मत आवश्यक है.
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