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पटना : पार्टी के विद्रोह को नहीं रोक पा रहे हैं तेजस्वी, नेताओं को खल रही लालू प्रसाद की कमी

पटना : अपने अब तक के राजनैतिक जीवन का सबसे अहम चुनाव कैंपेन कर रहे तेजस्वी यादव पार्टी के विद्रोह को नहीं रोक पा रहे हैं. राजद सुप्रीमो जेल में हैं इसलिए राजद के सबसे बड़े चेहरे के तौर पर पूरा चुनाव कैंपन संभाल रहे हैं. सबसे बड़े विद्रोही उनके बड़े भाई तेजप्रताप ही हैं. […]

पटना : अपने अब तक के राजनैतिक जीवन का सबसे अहम चुनाव कैंपेन कर रहे तेजस्वी यादव पार्टी के विद्रोह को नहीं रोक पा रहे हैं. राजद सुप्रीमो जेल में हैं इसलिए राजद के सबसे बड़े चेहरे के तौर पर पूरा चुनाव कैंपन संभाल रहे हैं. सबसे बड़े विद्रोही उनके बड़े भाई तेजप्रताप ही हैं.
पार्टी के कई बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं. पार्टी नेताओं को मौजूदा स्थिति में लालू प्रसाद की कमी काफी खल रही है. राजद लोकसभा की 19 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. राजद पहली बार इतने कम सीट पर चुनाव लड़ रही है. कई सीट पर तो राजद नेता ही पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ खम ठोक रहे हैं. पार्टी नेताओं का कहना है कि भाजपा ने जिस तरह अपने नाराज लोगों को मनाया वैसी कोई पहल पार्टी में नहीं दिखी.
पार्टी के कई बड़े नेता खुद चुनाव मैदान में है और जो चुनाव से बाहर हैं वो सक्रिय नहीं है. सारा प्रचार और सारी व्यवस्था 10 सर्कुलर रोड और तेजस्वी यादव पर आकर टिक गयी है. राजद के लिए सबसे बड़ा परेशानी का सबक लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेजप्रताप ही है. शिवहर और जहानाबाद के राजद प्रत्याशी के खिलाफ तो उन्होंने खुला विद्रोह कर दिया है. दोनों जगह अपने उम्मीदवार खड़ा कर दिया है और उसके समर्थन में रोड शो भी कर रहे हैं. हाजीपुर सीट पर भी अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया है.
पार्टी को कई नेता कर चुके हैं बाय-बाय
टिकट बंटवारे से नाराज पार्टी के कई प्रमुख नेता पार्टी छोड़ चुके हैं. इसमें पूर्व सांसद एमए फातमी, मंगनीलाल मंडल, पूर्व विधायक एसएस भास्कर, पूर्व विधान विधान पार्षद रामबदन राय प्रमुख हैं. टिकट नहीं मिलने से नाराज सीतामढ़ी के पूर्व सांसद सीताराम यादव भी चुप बैठ गये हैं.
फातमी तो महागठबंदन के उम्मीदवार के खिलाफ बसपा के टिकट पर मधुबनी से मैदान में उतर गये हैं. उनका विरोध दरभंगा सीट को भी प्रभावित कर सकती है. वे तीन बार यहां से सांसद रह चुके हैं. पार्टी ने 19 में से सिर्फ एक टिकट अति पिछड़ा को दिया है. इसको लेकर भी पार्टी के अति पिछड़े नेताओं में नाराजगी है. इधर पार्टी नेता दबी जुबान से यह भी कह रहे हैं कि पार्टी के नाराज नेताओं को मनाने का भी कोई प्रयास नहीं हुआ है. न हो रहा है. इसका अच्छा संदेश नहीं जा रहा है.

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