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चुनावी चौपाल : काम किया पर कई मुद्दों पर आलोचना जरूरी, सांसद नहीं आते नजर

सुबह नौ बजे का समय. मुंडेश्वरी इंक्लेव अपार्टमेंट में बीच में स्थित गार्डेन का परिसर. इस अपार्टमेंट में लगभग 300 परिवार रहते हैं.यह क्षेत्र भी पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में आता है. सुबह जब प्रभात खबर की टीम पहुंची, तो चुनावी चर्चा की शुरुआत हो रही थी. फर्मा कंपनी में काम करने वाले मुकेश कुमार […]

सुबह नौ बजे का समय. मुंडेश्वरी इंक्लेव अपार्टमेंट में बीच में स्थित गार्डेन का परिसर. इस अपार्टमेंट में लगभग 300 परिवार रहते हैं.यह क्षेत्र भी पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में आता है. सुबह जब प्रभात खबर की टीम पहुंची, तो चुनावी चर्चा की शुरुआत हो रही थी. फर्मा कंपनी में काम करने वाले मुकेश कुमार बोल रहे थे-बताइए, पूरे पांच वर्षों में केवल मार्केटिंग करने का काम हुआ है. सारी पुरानी योजनाओं को नये नाम से शुरू किया गया.

बात को आगे बढ़ाते हुए फिनांस सर्विस अवकाश प्राप्त निर्भय कुमार ने कहा, कुछ भी हो राजनीति में अच्छे लोगों को आने की जरूरत है. चुनाव के समय हम लोगों के पास विकल्प ही नहीं मिलता. मजबूरन किसी एक को चुनना होता है. शिक्षित व चारित्रिक रूप से संपन्न लोगों को आगे आने की जरूरत है.

चुनावी चौपाल लोगों को अपनी बात रखने का मौका दे रहा है. इसके माध्यम से लोग अपने सांसद और आने वाली केंद्र की सरकार से अपेक्षा पर बेबाकी से अपनी राय रख रहे हैं. हम विभिन्न मुहल्लों में चुनावी चौपाल का आयोजन कर रहे हैं, ताकि आम लोगों की बात और जरूरत अखबार के माध्यम से नेताओं तक पहुंचे. वहीं नेता उन बातों को अपने काम के एजेंडे में शामिल करें.

मंगलवार को दीघा-आशियाना रोड में पासपोर्ट ऑफिस के बगल में स्थित मुंडेश्वरी इंक्लेव अपार्टमेंट में चुनावी चौपाल का आयोजन किया गया. अधिकांश लोगों का मत था कि बीते पांच वर्षों में काम हुआ है, लेकिन रोजगार सहित अन्य मुद्दों पर आलोचना होनी चाहिए. वहीं, पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र के लोग सांसद से नाखुश थे, कहना था कि वे तो चुनाव के बाद नजर ही नहीं आते.

कई का कहना था कि पिछले पांच वर्षों में बेहतर काम हुआ है और सरकार अच्छा कर रही है

कुछ लोगों ने रोजगार और व्यवस्था को लेकर सवाल उठाये और कहा कि आलोचना होनी चाहिए

लोकतंत्र में पक्ष और विपक्ष दोनों की जरूरत है. लोगों को समस्याओं को उठाने से पीछे नहीं हटना चाहिए. कई बार जनप्रतिनिधि अपना एक कार्यकाल पूरा नहीं करते और दूसरे चुनाव में चले जाते हैं. ऐसे प्रतिनिधियों पर कार्रवाई हो. चुनाव का खर्च भी कम करने की जरूरत है, ताकि आम आदमी बोझ नहीं झेलना पड़े.

– संदीप झा, नौकरी, प्राइवेट सेक्टर

समस्याएं अधिक हैं, लेकिन हर काम सरकार स्तर से ही पूरा नहीं होता. सफाई की बात कर लीजिए, मोदी जी भले सफाई-सफाई चिल्ला लें, अधिकांश लोग सड़क पर कचरा फेंकने से बाज नहीं आते. राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने की जरूरत है. आइजीआइएमएस और पीएमसीएच में में भीड़ से इलाज मुश्किल हो जाता है.

– ब्रह्मदेव सिंह, अवकाश प्राप्त पीएनबी अधिकारी

देखिए, बात जब केंद्र सरकार की हो, तो हमें पांच वर्षों के काम की समीक्षा करनी चाहिए. मेरा मानना है कि जो वादा किया गया था, उसमें 85 फीसदी काम पूरा हुआ है. मैं बिजली विभाग में रहा हूं, पहले जो एक माह में ट्रांसफार्मर नहीं बदलता था, आज दो से तीन दिन में बदल दिया जाता है, लेकिन और काम की जरूरत है. इसलिए इस सरकार को और समय देना होगा.

– विनय कुमार सिंह, अवकाश प्राप्त मुख्य अभियंता, ऊर्जा विभाग

संसदीय प्रणाली में खामियां आ गयी हैं. आजादी के बाद हर हाथ को काम और हर खेत को पानी नहीं मिला. केवल अरबपति ही चुनाव लड़ते हैं. मध्यम वर्ग और गरीबों की कोई बात नहीं करने वाला. रोजगार के मामले में बीते 45 वर्षों में सबसे अधिक गिरावट आयी है. नेता टिकट के लिए एक दल से दूसरे दल में भाग जाते हैं. सांसद फंड का कोई हिसाब नहीं देता.

ओम प्रकाश मेहता, सचिव मुंडेश्वरी इंक्लेव रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटी

नोटा की सुविधा दी गयी, लेकिन फायदा नहीं हुआ. चुनाव आयोग या सरकार को ऐसा नियम लाना होगा कि अगर नोटा पर वोट अधिक पड़े, तो वहां का चुनाव रद्द हो और जो प्रतिनिधि उस चुनाव में शामिल हैं, उनको फिर से चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं हो. जहां तक सरकार की बात है, भ्रष्टाचार को कम करने की जरूरत है. शिक्षा में व्यापक सुधार होना चाहिए.

– दीपक कुमार, बैंक मैनेजर

जो काम इस

पांच वर्ष में हुआ है, वह पहले कभी नहीं हुआ. मोदी जी, काम बहुत अच्छा कर रहे हैं. विदेश स्तर पर देश का नाम काफी ऊंचा उठा है. गरीबों को घर, किसान को पैसा, वृद्धा पेंशन से लेकर कई जरूरी योजनाएं लोगों को फायदा पहुंचा रही हैं. ऐसे में इस सरकार को पांच वर्ष का और समय देना होगा.

– प्रभावती सिंह

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