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मिशन 2019 : रामकृपाल यादव से मीसा की हार का बदला लेने की कोशिश में राजद, दिलचस्प होगी पाटलिपुत्र की चुनावी लड़ाई

सामाजिक समीकरण की खींचतान का गवाह बनेगा पाटलिपुत्र पटना : पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र इस बार भी सामाजिक समीकरणों के संघर्ष का गवाह बनेगा. परिसीमन के बाद हुए दो चुनावों में पाटलिपुत्र से यादव उम्मीदवार ही चुनाव जीतते आये हैं. पहली बार 2009 में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और किसी जमाने में उनके मित्र रहे डाॅ […]

सामाजिक समीकरण की खींचतान का गवाह बनेगा पाटलिपुत्र

पटना : पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र इस बार भी सामाजिक समीकरणों के संघर्ष का गवाह बनेगा. परिसीमन के बाद हुए दो चुनावों में पाटलिपुत्र से यादव उम्मीदवार ही चुनाव जीतते आये हैं. पहली बार 2009 में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और किसी जमाने में उनके मित्र रहे डाॅ रंजन यादव के बीच कांटे की टक्कर हुई थी. अखाड़े में लालू परास्त हो गये थे.

2014 में लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती को राजद ने उम्मीदवार बनाया. उनका मुकाबला अपने ही दल से भाजपा में शामिल हुए रामकृपाल यादव से हुआ. रामकृपाल चुनाव जीत गये. जदयू के रंजन यादव एक लाख के करीब वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे. वहीं, इस बार भी मीसा भारती ने फिर चुनाव लड़ने का संकेत दिया है. उनके भाई तेज प्रताप यादव ने मीसा के लिए चुनाव प्रचार शुरू भी कर दिया है.

पार्टी के दूसरे बड़े नेता भाई वीरेंद्र भी यहां से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं. लेकिन, इतना तय है कि पाटलिपुत्र सीट से महागठबंधन में राजद ही चुनाव लड़ेगा और इसके उम्मीदवार का अंतिम फैसला लालू प्रसाद करेंगे. महागठबंधन के भीतर पाटलिपुत्र सीट राजद को दिये जाने पर कोई विवाद भी नहीं है. इधर, भाजपा में केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव को दोबारा उम्मीदवार बनाये जाने को लेकर कोई विवाद अब तक सामने नहीं आया है.

हालांकि, इस सीट पर जदयू की भी इच्छा चुनाव लड़ने की रही है. 2009 के चुनाव में जदयू के डॉ रंजन प्रसाद यादव ने लालू प्रसाद को पराजित कर सीट पर कब्जा किया था. इस बार यह सीट जदयू को मिली तो भाजपा रामकृपाल यादव को कहीं और समायोजित कर सकती है. हालांकि, जदयू और भाजपा के बीच सीट को लेकर अंतिम फैसला इसी माह में हो जायेगा. इसके बाद ही उम्मीदवार के नाम का एलान होगा.

2014 के चुनाव में मिले थे इतने वोट

रामकृपाल यादव को तीन लाख 83 हजार से अधिक वोट आये. दूसरे स्थान पर मीसा भारती रही थीं. इन्हें तीन लाख 42 हजार वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर रहे जदयू के डॉ रंजन प्रसाद यादव को 97 हजार से अधिक वोट मिले थे.

पटना के ग्रामीण इलाकों को मिला कर बनी थी नयी सीट

रामकृपाल यादव परिसीमन के पूर्व पटना के सांसद रहे हैं. परिसीमन में पटना को दो भागों में बांटा गया. बाढ़ संसदीय सीट का अस्तित्व समाप्त हो गया और पटना साहेब के अलावा पटना के ग्रामीण इलाकों को मिला कर पाटलिपुत्र नाम से नयी सीट सृजित हुई.

इस सीट में ये विस क्षेत्र हैं शामिल : पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में दानापुर, मनेर, फुलवारी, मसौढ़ी, पालीगंज और विक्रम विधानसभा की सीटें आती हैं.

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