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पटना : दीघा थानाध्यक्ष के विपक्ष व पक्ष में उतरे लोग, सड़क जाम, हंगामा
पटना : दीघा थानाध्यक्ष रघुनाथ प्रसाद पर आरटीआइ एक्टिविस्ट त्रिभुवन प्रसाद यादव से दुर्व्यवहार व अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने का आरोप लगाते हुए स्थानीय लोगों का एक गुट सड़क पर उतर गया. थानाध्यक्ष का पूतला फूंक थाने का घेराव करने के साथ ही गुट के लोग सड़क पर ही धरना पर बैठ गये. दूसरी […]
पटना : दीघा थानाध्यक्ष रघुनाथ प्रसाद पर आरटीआइ एक्टिविस्ट त्रिभुवन प्रसाद यादव से दुर्व्यवहार व अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने का आरोप लगाते हुए स्थानीय लोगों का एक गुट सड़क पर उतर गया.
थानाध्यक्ष का पूतला फूंक थाने का घेराव करने के साथ ही गुट के लोग सड़क पर ही धरना पर बैठ गये. दूसरी ओर थानाध्यक्ष के समर्थन में स्थानीय लोगों का दूसरा गुट भी विरोधी पक्ष के सामने आ गया और दोनों गुट आपस में ही भिड़ गये और मारपीट शुरू हो गयी.
खबर मिलते ही डीएसपी विधि व्यवस्था राकेश कुमार दल-बल के साथ पहुंचे और मामले को नियंत्रित किया. सड़क जाम से पटना-दानापुर मार्ग पर दो घंटे तक आवागमन बाधित रहा.
जुलूस निकाल कर पहुंचे थाने के पास : बताया जाता है कि शनिवार को करीब डेढ़ बजे स्थानीय लोग दीघा सब्जी मार्केट से जुलूस की शक्ल में पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करते हुए निकले. इस दौरान जुलूस ने दीघा थानाध्यक्ष रघुनाथ प्रसाद का पुतला दहन करने लगे.
इसी बीच काफी संख्या में थानाध्यक्ष का विरोध कर रहे लोगों के विरोध में अन्य स्थानीय लोग आ गये और दोनों पक्षों के बीच मारपीट होने लगी. डीएसपी विधि व्यवस्था राकेश कुमार को सूचना मिली तो उन्होंने तुरंत वहां पहुंच दोनों पक्ष के लोगों को समझा कर शांत किया.
27 दिसंबर को आरटीआइ कार्यकर्ता के साथ हुई थी बदसलूकी : आरटीआइ एक्टिविस्ट त्रिभुवन प्रसाद यादव ने बताया कि वे 27 दिसंबर को दीघा थानाध्यक्ष से मिलने गये थे, लेकिन उन्होंने अभद्र व्यवहार करते हुए अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया. उन्होंने बताया कि 25 मई को दीघा थाना में एक चोरी की बाइक के साथ जीआरपी के एक सिपाही को पकड़ कर लाया गया था. उस समय प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी. केवल सनहा दर्ज किया गया और आरोपित सिपाही को छोड़ दिया गया. अभी तक इस मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकी है.
क्या कहते हैं दीघा थानाध्यक्ष
दीघा थानाध्यक्ष रघुनाथ प्रसाद ने बताया कि कुछ लोग मुझे जमीन की दलाली में सहभागी बनाना चाहते हैं. जमीन के दलालों से थाना को मुक्त कर दिया गया है. यह बात उन लोगों को नागवार गुजर रही है. वे चाहते हैं कि मैं यहां न रहूं, क्योंकि उनकी नहीं चल रही है, जब तक यहां रहूंगा, गलत लोगों की दाल नहीं गलेगी.
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