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पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को दिया निर्देश, बिना बुनियादी सुविधाओं के चल रहे पैथोलॉजी सेंटरों पर करें कार्रवाई

पटना : राज्य में अवैध रूप से और बगैर बुनियादी सुविधाओं के चल रहे पैथोलॉजी सेंटरों पर पटना हाईकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है. अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार को अगली सुनवाई में स्थिति स्पष्ट करते हुए पूरा ब्योरा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. मुख्य न्यायाधीश मुकेश आर शाह और न्यायाधीश डॉ […]

पटना : राज्य में अवैध रूप से और बगैर बुनियादी सुविधाओं के चल रहे पैथोलॉजी सेंटरों पर पटना हाईकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है. अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार को अगली सुनवाई में स्थिति स्पष्ट करते हुए पूरा ब्योरा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. मुख्य न्यायाधीश मुकेश आर शाह और न्यायाधीश डॉ रवि रंजन की खंडपीठ ने शनिवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी.
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि राज्य के सभी जिलों में पैथोलॉजी सेंटर कुकुरमुत्ते की तरह खुल गये हैं. इनमें न तो योग्य डॉक्टर हैं और न ही तकनीशियन. इस कारण जांच रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर हमेशा संशय बना रहता है. सही रिपोर्ट नहीं मिलती है, जिससे मरीजों की जांच और इलाज सही तरीके से नहीं हो पाता है.
सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने स्पष्ट किया कि जांच रिपोर्ट पर क्वालिफाइड और सक्षम डॉक्टर से दस्तखत करा कर ही रिपोर्ट मरीज को दी जायेगी.
स्टेडियम में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर का अंतिम मैच कब हुआ था
पटना : राजधानी पटना में स्थित मोइनुलहक स्टेडियम सहित राज्य के अन्य खेल स्टेडियमों की दयनीय स्थिति पर नाराज पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि इन स्टेडियमों में आखिरी अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर का मैच कब हुआ था?
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य के स्टेडियमों की दयनीय स्थिति के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह जानकारी मांगी है. अदालत को याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि राज्य के सभी स्टेडियमों की स्थिति खराब है. यही कारण है कि राज्य सरकार यहां राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय खेल का आयोजन कराने में दिलचस्पी नहीं लेती है.
पिछले कई वर्षों से मोइनुलहक स्टेडियम में क्रिकेट मैच का आयोजन नहीं हुआ है. याचिकाकर्ता को सुनने के बाद अदालत ने इस मामले में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन और बिहार राज्य खेल प्राधिकरण को पक्षकार बनाने का निर्देश देते हुए उनसे भी 11 सितंबर तक जवाब तलब किया है.
एक ही महिला एक माह में तीन बार बच्चा जन्म दे, यह कैसे संभव : हाईकोर्ट
पटना : सीतामढ़ी जिले के सदर अस्पताल में सरकारी राशि का गलत आंकड़ा दिखा कर की जा रही लूट पर नाराज पटना हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच का जिम्मा वहां के जिला जज को दिया है.
मुख्य न्यायाधीश मुकेश आर शाह और न्यायाधीश डॉ रवि रंजन की खंडपीठ ने मदन चौधरी द्वारा दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. याचिकाकर्ता ने सीतामढ़ी सदर अस्पताल की दयनीय स्थिति और अस्पताल को मिलने वाली सरकारी राशि में बरती गयी अनियमितता की जांच के लिए यह लोकहित याचिका दायर की है.
अदालत को याचिकाकर्ता की ओर से जब यह बताया गया कि अस्पताल प्रशासन ने एक ही महिला को इसी अस्पताल में एक महीने के अंदर ही तीन बार बच्चा पैदा करने की बात कह कर उसके नाम पर मिलने वाली राशि निकाल ली है. इस पर अदालत ने कहा कि यह कैसे संभव हो सकता है कि एक ही महिला ने एक ही अस्पताल में एक ही महीने में तीन बार तीन बच्चों को जन्म दे दिया. अदालत को याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि सीतामढ़ी सदर अस्पताल की स्थिति बदतर है. वहां बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. इतना ही नहीं, गर्भवती स्त्री को सरकारी स्वास्थ्य योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. गलत आंकड़ा दिखा कर संबंधित डॉक्टर और पदाधिकारी इस राशि को अपने पास रख लेते हैं.
याचिकाकर्ता की ओर से लगाये गये इस आरोप को अदालत ने गंभीर मानते हुए सीतामढ़ी के जिला व सत्र न्यायाधीश को निर्देश दिया है कि उक्त अस्पताल के क्रियाकलापों के साथ ही इस लोकहित याचिका में लगाये गये आरोपों की जांच का काम तीन सप्ताह के अंदर पूरा कर अगली सुनवाई पर अपनी जांच रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत करें.
इसके साथ ही अदालत ने कहा कि राज्य के सरकारी अस्पतालों की वर्तमान स्थिति और वहां के क्रियाकलापों की जांच बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (बालसा) के जरिये करवायी जा सकती है. अदालत ने इसको लेकर बालसा के सचिव को भी नोटिस देने का निर्देश दिया है. अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद निर्धारित की है.
फर्जी नॉन बैंकिंग कंपनियां : सीबीआई से पूछा, वह जांच के लिए तैयार है या नहीं
पटना : राज्य में फर्जी नॉन बैंकिंग और फाइनांस कंपनियों के संचालन और उनकी धोखाधड़ी को लेकर दायर लोकहित याचिका पर पटना हाईकोर्ट ने शनिवार को सुनवाई की. मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकार के साथ-साथ रिजर्व बैंक से भी जवाब तलब किया है. साथ ही सीबीआई को यह बताने के लिए कहा है कि वह इस मामले की जांच के लिए तैयार है या नहीं. अदालत ने इस मामले में सीबीआई को भी नोटिस देने का निर्देश दिया है.
वन भूमि पर अवैध कब्जा मामले में डीएम व वन विभाग के अफसर तलब
पटना : पटना हाईकोर्ट ने कैमूर व नालंदा जिलों में वन विभाग की 300 एकड़ की जमीन पर भूमाफियाओं के अवैध कब्जे पर सख्त रुख अपनाते हुए दोनों जिलों के डीएम और डीएफओ सहित वन विभाग के आला अधिकारियों को 28 अगस्त को अदालत में तलब किया है.
मुख्य न्यायाधीश अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस संबंध में दायर लोकहित याचिका पर शनिवार को सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. अदालत को याचिकाकर्ता ने बताया कि दोनों जिलों में वन विभाग की करीब 300 एकड़ से अधिक की भूमि पर भूमाफियाओं का अवैध कब्जा है. इस जमीन को उनलोगों के कब्जे से अब तक नहीं छुड़ाया गया है. वहीं, राज्य सरकार की तरफ से बताया गया कि 300 एकड़ की बात गलत है. वन विभाग की सिर्फ 50 एकड़ जमीन पर भूमाफियाओं का अवैध कब्जा है. इसे उनके कब्जे से छुड़ाने का काम किया जा रहा है.
इस पर अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि 50 एकड़ की बात तो दूर एक एकड़ जमीन पर भी भूमाफियाओं का कब्जा कैसे हुआ? आखिर यह सब किसकी लापरवाही से हुआ है? सरकार इसकी पूरी जानकारी अगली सुनवाई में अदालत को दे. मामले में अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी.
Prabhat Khabar Digital Desk
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