पटना : सीबीआई ने बिहार के एनजीओ सृजन महिला विकास सहयोग समिति और सरकारी अधिकारियों की कथित संलिप्तता वाले 1,000 करोड़ रुपये के घोटाले से जुड़े नौ मामलों की जांच अपने हाथों में ले ली है. अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने कथित आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी सहित अन्य आरोपों में बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक और समिति के अज्ञात अधिकारियों को आरोपी बनाया है. उन्होंने बताया कि जांच एजेंसी ने सात मामले पटना में और दो मामले दिल्ली में दर्ज किये.
गौरतलब हो कि इससे पहले बहुचर्चित सृजन घोटाला मामले में सीबीआई ने 8 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. जिनमें बैंक के पूर्व अधिकारी, सृजन महिला विकास समिति के अधिकारी शामिल हैं. इन सबके खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र, विश्वास का उल्लंघन, धोखाधड़ी और बहुमूल्य सुरक्षा की जालसाजी के तहत मामला दर्ज किया गया है. सीबीआई इससे पहले 19 लोग के खिलाफ मामला दर्ज किया था. इसी दौरान बिहार सरकार के वित्त विभाग के ओर से सृजन घोटाले में हुई वित्तीय गड़बड़ी की रिपोर्ट मांगी गयी है. करीब दस महीना पहले अगस्त 2017 में घोटाले के खुलासे के बाद से सरकार ने रिपोर्ट मांगी थी. रिपोर्ट की मांग भागलपुर, सहरसा और बांका जिला के प्रशासन से मांगी गयी है.
विदित हो कि सृजन घोटाला मामले में सीबीआई ने कुल तीन मामलों में चार्जशीट दाखिला किया है. घोटाले के सिलसिले में सीबीआई ने चार और मामले दर्ज कराये हैं. आज तक इस घोटाले के सिलसिले में कुल 14 मामले दर्ज किये गये हैं. 10 नवंबर 2017 को सीबीआई की ओर से दायर दो अलग-अलग मामलों में जिन लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर हुआ है, उनमें जिला कल्याण पदाधिकारी अरुण कुमार, भागलपुर स्थित बड़ौदा बैंक के प्रबंधक मोहम्मद सरफ़राजउद्दीन, सृजन की प्रबंधक सरिता झा और कर्मचारी इंदु गुप्ता शामिल हैं. जहां अरुण, इंदु और सरफ़राजउद्दीन फ़रार चल रहे हैं, वहीं सरिता फिलहाल जेल में हैं. इन लोगों के खिलाफ जिला कल्याण कार्यालय के 6 करोड़ के गबन का मामला है, जो सृजन के खाते में डाल कर बंदरबांट किया गया.
ज्ञात हो कि शुरू में यह मामला भागलपुर से उजागर हुआ था. इसके बाद बांका और सहरसा जिला से भी तार जुड़ता चला गया. सभी मामलों में सरकारी पैसे के अवैध तरीके से सृजन संस्था के खाते में ट्रांसफर कर निकासी की गयी थी. अभी तक की जानकारी के मुताबिक, अकेले भागलपुर में करीब 2,000 करोड़ से अधिक के अवैध निकासी की गयी है.