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पटना : मुफ्त सरकारी इलाज को छोड़ प्राइवेट अस्पतालों की शरण में टीबी के मरीज

आनंद तिवारी पटना : पिछले कुछ सालों में टीबी के मरीज डॉट्स सेंटरों को छोड़ प्राइवेट अस्पतालों की तरफ जाने लगे हैं. वहां पहुंचने वाले रोगियों की संख्या में 42 फीसदी का इजाफा हुआ है. इस साल केवल शुरुआती छह माह में प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या 35 फीसदी तक पहुंच […]

आनंद तिवारी
पटना : पिछले कुछ सालों में टीबी के मरीज डॉट्स सेंटरों को छोड़ प्राइवेट अस्पतालों की तरफ जाने लगे हैं. वहां पहुंचने वाले रोगियों की संख्या में 42 फीसदी का इजाफा हुआ है. इस साल केवल शुरुआती छह माह में प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या 35 फीसदी तक पहुंच गयी है.
अगर यही रफ्तार जारी रही तो इस साल ऐसे मरीजों की संख्या 70 फीसदी तक पहुंच सकती है. यह खुलासा भारत सरकार की वेबसाइट रिवाइज नेशनल टीबी कंट्रोल प्रोग्राम (आरएनटीसीपी ) निश्चय के आंकड़ों से हुआ है. यह आंकड़ा इसलिए हैरत भरा है, क्योंकि सरकारी अस्पतालों और डॉट्स सेंटरों में टीबी के इलाज बिल्कुल मुफ्त है.
मरीजों को गुमराह कर उन्हें प्राइवेट अस्पतालों की तरफ धकेला जा रहा है : आंकड़ों के अनुसार पटना सहित पूरे बिहार में हर साल टीबी के 10 हजार मरीज प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराने पहुंच रहे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि मरीजों को गुमराह कर उन्हें प्राइवेट अस्पतालों की तरफ धकेला जा रहा है. बेहतर इलाज या जांच के नाम पर आर्थिक लूट चल रही है. पटना सहित पूरे बिहार में हर साल 80 हजार से एक लाख मरीज इलाज कराने के लिए अस्पताल पहुंचते हैं. इनमें 42 प्रतिशत मरीज अपना इलाज प्राइवेट अस्पतालों में कराते हैं.
इसकी वजह यह भी है कि डॉट्स सेंटरों पर न तो समय पर डॉक्टर रहते हैं और न कर्मचारी. एमडीआर के मरीजों को भी इलाज के लिए पटना भेज दिया जाता है. जबकि, सरकार डॉट्स सेंटरों को मजबूत बनाने में जुटी है. अभी हाल ही में प्रदेश में टीबी से पीड़ित रोगियों की पोषण संबंधी सहायता के लिए 85 करोड़ आवंटित किये गये हैं.
प्राइवेट अस्पतालों में टीबी की बेहतर जांच मुमकिन नहीं : प्राइवेट अस्पताल एमडीआर टीबी की जांच ठीक से नहीं कर सकते हैं. जबकि टीबी डॉट्स सेंटर व सरकारी अस्पतालों में बलगम व जीन एक्सपर्ट से जांच कर इलाज होता है.
आंकड़ों पर एक नजर
साल टीबी डॉट्स प्राइवेट कुल प्रतिशत प्रतिशत
सेंटर अस्पताल मरीज सरकारी प्राइवेट
2014 67572 12259 79831 85 15
2015 61403 25030 86433 71 29
2016 62801 31335 94136 67 33
2017 58018 41989 10007 58 42
2018 25916 14066 39982 65 35
क्या कहते हैं अधिकारी
यह सही है कि प्राइवेट अस्पतालों में टीबी के मरीज अधिक पहुंच रहे हैं. लेकिन टीबी डॉट्स सेंटर पर सभी तरह की सुविधाएं मिल रही हैं. यहां तक कि प्राइवेट अस्पताल में जिस कंपनी की दवा मिल रही हैं, उसी कंपनी की दवा डॉट्स सेंटर पर भी उपलब्ध है. इलाज से लेकर भर्ती तक की सुविधा पूरी तरह से नि:शुल्क है.
डॉ केएन सहाय, स्टेट टीबी ऑफिसर स्वास्थ्य विभाग.

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