विनय कुमार
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कुव्यवस्था: ऐसा स्कूल जहां 6 साल में एक भी छात्र का नामांकन नहीं
विनय कुमार -वैशाली जिले के पटेढ़ी बेलसर प्रखंड में नवसृजित प्राथमिक विद्यालय का मामला पटेढ़ी बेलसर, हाजीपुर : वैशाली जिले में एक ऐसा सरकारी विद्यालय भी है, जहां बीते छह साल में एक भी बच्चे का नामांकन नहीं हुआ है, लेकिन विद्यालय में पदस्थापित दो शिक्षिकाओं को प्रतिवर्ष लगभग छह लाख रुपये वेतन जरूर मिल […]
-वैशाली जिले के पटेढ़ी बेलसर प्रखंड में नवसृजित प्राथमिक विद्यालय का मामला
पटेढ़ी बेलसर, हाजीपुर : वैशाली जिले में एक ऐसा सरकारी विद्यालय भी है, जहां बीते छह साल में एक भी बच्चे का नामांकन नहीं हुआ है, लेकिन विद्यालय में पदस्थापित दो शिक्षिकाओं को प्रतिवर्ष लगभग छह लाख रुपये वेतन जरूर मिल रहा है. इसके अलावा अन्य मदों में भी इस विद्यालय के नाम पर लाखों रुपये की निकासी की गयी है. इस विद्यालय की नामांकन पंजी को खंगालने से यह स्पष्ट हो रहा है कि यहां बीते छह साल में एक भी बच्चों का नामांकन नहीं हुआ. शिक्षा विभाग की कुव्यवस्था को उजागर कर रहा यह विद्यालय पटेढ़ी बेलसर प्रखंड के मिश्रौलिया अफजलपुर गांव स्थित नवसृजित प्राथमिक विद्यालय है.
विगत छह वर्षों से दो शिक्षिकाएं विद्यालय में आती हैं. अपनी हाजिरी बनाती हैं और विद्यालय की अवधि समाप्त होने पर विद्यालय बंद कर चली जाती हैं. प्रधानाध्यापक के पद पर कुमारी अंजना पदस्थापित हैं, जबकि सहायक शिक्षक के पद पर नीलम कुमारी. इस नवसृजित विद्यालय के लिए छह कमरों के दो नये भवन भी बने हुए हैं. तीन कमरों का एक भवन पूर्ण रूप से तैयार है, जबकि दूसरे भवन के तीन कमरों में प्लास्टर और रंग रोहन बाकी है. दोनों भवनों का निर्माण वर्ष 2006 से 2009 के बीच हुआ था. बच्चों के लिए शौचालय और चापाकल भी मौजूद है. दोनों भवनों के निर्माण में लगभग 15 लाख रुपये खर्च हुए थे.
विद्यालय का नहीं भरा जा रहा है डायट फॉर्म
शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार पटेढ़ी बेलसर प्रखंड में कुल 69 विद्यालयों का ही डायट फॉर्म भरा जाता है. नवसृजित प्राथमिक विद्यालय मिश्रौलिया अफजलपुर का डायट फॉर्म नहीं भरा जा रहा है. यह विद्यालय शिक्षा विभाग की सूची में दर्ज ही नहीं है. सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जिस विद्यालय को शिक्षा विभाग स्कूल मान ही नहीं रहा है, उस विद्यालय में शिक्षकों का नियोजन कर लाखों रुपये का भुगतान प्रतिमाह कैसे किया जा रहा है? विभागीय पदाधिकारी दबी जुबान में बताते हैं कि उक्त विद्यालय को छह वर्ष पूर्व ही दूसरे विद्यालय में अटैच कर दिया गया था, लेकिन दोनों शिक्षिकाओं का संयोजन दूसरे विद्यालय में नहीं किया गया. जिसके कारण दोनों शिक्षिकाएं इसी विद्यालय के नाम पर वेतन ले रहीं हैं. ग्रामीणों का कहना है कि यह विद्यालय लोगों को मुंह चिढ़ा रहा है. भवन बनने के बाद भी बच्चों का नामांकन भी नहीं होना शिक्षा विभाग के खेल को उजागर करता है.
क्या कहते हैं अधिकारी
गोरौल के साथ-साथ पटेढ़ी बेलसर प्रखंड के प्रभार में हूं. इस विद्यालय के बारे में जानकारी हुई है. विद्यालय की फाइल का अवलोकन किया जा रहा है. पूर्व के पदाधिकारियों ने क्या कार्रवाई की है. इसकी भी जानकारी ली जा रही है. शिक्षिकाओं का सामंजन दूसरे विद्यालयों में हो जाना चाहिए था, लेकिन किन कारणों से नहीं हुआ, इसकी भी जांच की जायेगी.
पंचायत शिक्षक के रूप में हुई थी शिक्षिकाओं की नियुक्ति
जिले के कई सरकारी विद्यालय शिक्षकों की कमी का दंश झेल रहे हैं. कई के पास अपना भवन तक उपलब्ध नहीं है. इस नवसृजित विद्यालय में तीन कमरों का नया भवन है. तीन कमरों का वर्ग कक्ष अपूर्ण है. ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी राशि के दुरुपयोग का इससे बड़ा प्रमाण नहीं हो सकता. वित्तीय वर्ष-2006-07 में दो पंचायत शिक्षकों की बहाली इस विद्यालय में हुई थी. नियोजित शिक्षिकाएं उस समय से ही कार्यरत हैं. उक्त वित्तीय वर्ष के बाद कुछ वर्षों तक बच्चों का नामांकन हुआ था, लेकिन बाद में नामांकन बंद हो गया. विद्यालय में बच्चों का नामांकन नहीं होने के कारण यहां एजेंसी ने मध्याह्न भोजन की आपूर्ति बंद कर दी.
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