पटना: छत्तीसगढ़ से 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल बिहार की तीन दिवसीय यात्रा के बाद आज लौट गया. इस दौरान उसने पिछले दो वर्षों से राज्य में लागू मद्य निषेध कानून का अध्ययन किया. इस प्रतिनिधिमंडल में विधि निर्माता, अधिकारी और अन्य शामिल थे. इससे पहले पिछले साल नवंबर में कर्नाटक से इसी तरह के एक प्रतिनिधमंडल ने राज्य का दौरा किया था. प्रतिनिधिमंडल ने आम लोगों और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी.
नीतीश कुमार ने पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य की महिलाओं से किये गये वादे को पूरा करते हुए अप्रैल 2016 में शराब पर प्रतिबंध लगाने का कदम उठाया था. छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधिमंडल बिहार के मुख्यमंत्री के एक अणे मार्ग स्थित आधिकारिक आवास पर भी गया, लेकिननीतीश कुमार से उनकी मुलाकात नहीं हो सकी क्योंकि वह अस्वस्थ थे. हालांकि, प्रतिनिधिमंडल को पूर्व मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने मद्य निषेध के अनुभवों के बारे में जानकारी दी.
अंजनी कुमार सिंह को सेवानिवृत्ति के बाद सलाहकार, नीति एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन पद पर नियुक्त किया गया है. प्रतिनिधिमंडल में सांसद दिनेश कश्यप और कमला देवी पाटले, विधायक अशोक कुमार साहू और रोहित कुमार साई और राज्य के आबकारी सचिव डीडी सिंह समेत अन्य शामिल थे.
मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों के अनुसार प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री के सलाहकार सिंह को बताया कि बिहार के विभिन्न हिस्सों की यात्रा के दौरान उन्होंने पाया कि मद्य निषेध के कदम से महिलाएं काफी खुश थीं. उन्होंने यह भी दावा किया कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह भी मद्य निषेध के समर्थन में हैं और ‘इस कदम को लागू करने के लिये माहौल बनाने का प्रयास कर रहे हैं.
सिंह ने प्रतिनिधिमंडल से कहा कि राज्य ने अप्रैल 2016 में शराब की बिक्री और सेवन पर यह जानते हुए प्रतिबंध लगाया कि इससे सालाना 5000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा, लेकिन लोग इससे प्रति वर्ष 15000 करोड़ रुपये तक की बचत कर सकेंगे जो वे शराब पर खर्च कर रहे थे. इससे फायदे अधिक होंगे. उन्होंने प्रतिनिधिमंडल से कहा कि लोग अब अपने बच्चों की शिक्षा पर अधिक खर्च कर रहे हैं और अपने जीवन स्तर में सुधार कर रहे हैं. इससे सड़क दुर्घटना और घरेलू हिंसा की घटनाओं में कमी आयी है.