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बिहार : अस्पताल प्रबंधक ने मां-बेटे को पहुंचाया घर, रमेश तूरी को मां ने गले लगाया, कहा प्रभात खबर देवदूत बनकर आया

पिता सुनील तुरी ने कहा- 10 रातों से सो नहीं पाया हूं, आज चैन की नींद सोऊंगा चकाई/सरौन / पटना : पटना के श्रीगंगाराम ट्रामा हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड में करीब 10 दिनों से फंसे चकाई प्रखंड क्षेत्र के कोहबारा गांव निवासी रमेश तूरी और उसकी मां गुड़िया देवी रविवार को अपने घर पहुंच गये. प्रभात […]

पिता सुनील तुरी ने कहा- 10 रातों से सो नहीं पाया हूं, आज चैन की नींद सोऊंगा
चकाई/सरौन / पटना : पटना के श्रीगंगाराम ट्रामा हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड में करीब 10 दिनों से फंसे चकाई प्रखंड क्षेत्र के कोहबारा गांव निवासी रमेश तूरी और उसकी मां गुड़िया देवी रविवार को अपने घर पहुंच गये. प्रभात खबर में खबर छपते ही हरकत में आये अस्पताल प्रबंधन ने दोनों को एंबुलेंस से चकाई स्थित घर पहुंचाया.
मां-बेटा के घर पहुंचते ही सुनील तूरी और उनके परिजनों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी. इधर सिविल सर्जन श्याम मोहन दास, चकाई बीडीओ राजीव रंजन और अन्य अधिकारियों ने भी खबर पर संज्ञान लिया और रमेश तूरी के घर टीम भेज कर प्रशासनिक सहयोग की बात कही. कई लोगों ने प्रभात खबर कार्यालय में टेलीफोन कर हरसंभव सहयोग की बातकही. मरीज के पिता सुनील तूरी ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा रुपये जमा करने को लेकर जिस तरह से कहा गया था, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आगे क्या होगा. मेरा बेटा और पत्नी घर लौट सकेगी या नहीं.
इन्हीं बातों के उधेड़बुन में मैं बीते 10 दिनों से था. मुझे और घर में रह रही रंजीत की पत्नी को खाने-पीने तक की सुधि नहीं थी. मैं 10 रातों से सो नहीं पाया हूं. आज चैन की नींद सो पाऊंगा.
जानकारी के अनुसार बीते आठ अप्रैल को अज्ञात लोगों द्वारा मारपीट कर फेंक देने के बाद उसके पिता सुनील तूरी ने नौ अप्रैल को उसे इलाज के लिए पटना के श्रीगंगाराम ट्रामा हॉस्पिटल में भर्ती करवाया था. उन्होंने ने बताया कि इस दौरान करीब 15 हजार रुपये दवा और चिकित्सक की फीस के रूप में जमा किये थे.
करीब चार-पांच दिनों के इलाज के बाद रमेश के ठीक हो जाने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने करीब 22 हजार रुपये की मांग की. जब राशि जमा करने में असमर्थता जाहिर की, तो अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि जब तक राशि जमा नहीं करोगे, तुम्हारा बेटा और पत्नी अस्पताल में ही रहेंगे. मजबूरन मैं घर लौट कर गांव-गांव ढोल बजाकर बंधक बने बेटा और पत्नी को छुड़ाने की जुगत में जुट गया था. सुनील तूरी ने बताया कि अस्पताल द्वारा घर छोड़ने पर एक कागज पर हमलोगों से टीपा (अंगूठे का निशान) लिया गया है.
चकाई के बीडीओ राजीव रंजन ने कहा कि पीड़ित रमेश के घर जाकर उसका बैंक खाता नंबर लिया हूं. डीएम महोदय ने उसे आर्थिक मदद देने के लिए उसके खाते में पैसे भेजने का निर्देश दिया है.
जमुई के सिविल सर्जन श्याम मोहन दास ने कहा कि खबर पढ़ने के बाद बात मेरे संज्ञान में आयी है. रमेश की सेहत की जांच-पड़ताल को लेकर चकाई के चिकित्सा प्रभारी को सूचना दी गयी है. कल टीम उसके घर जायेगी.
अस्पताल प्रबंधक आलोक कुमार ने भी प्रभात खबर का भी आभार जताते हुए कहा कि यह खबर नहीं छपती तो यह पता नहीं चल पाता कि पैसे के इंतजाम नहीं होने की स्थिति में पिता गांव में हैं, जबकि मरीज यहां ठीक होने के बाद भी घर जाने के इंतजार में पड़ा है. उन्होंने सुबह नाश्ता करा कर दोनों को उनके घर भेजा गया.
मरीज की मां बोलीं
प्रभात खबर देवदूत बनकर आया
घर पहुंचते ही रमेश तूरी को मां ने गले लगा लिया और कहा कि प्रभात खबर देवदूत बनकर मेरे घर आया. मेरे घर का चिराग फिर से जलने लगा. यह बेटे की दूसरी जिंदगी है. भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं है.

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