पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्ण शराबबंदी के दो साल पूर्ण होने परआज बड़ी घोषणाकरतेहुए आलोचकों परजमकर निशाना साधा है. ‘‘मजा पिलाकर गिराने में कहां, मजा तब है जब गिरतों को थाम ले साकी.’’ इस शायरी के जरिये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को राज्य में पूर्ण शराबबंदी के दो साल पूरे होने पर यहां आयोजित कार्यक्रम में शराबबंदी कानून के आलोचकों परहमलाबोलते हुए कहा कि हम वोट की चिंता नहीं करते हैं, बल्कि वोटरों और खासकर 18 वर्ष के कम उम्र के युवाओं की चिंता करते हैं. इनके हित में शराबबंदी कानून हर हाल में लागू रहेगा. शराबबंदी का फायदा सबसे ज्यादा गरीब तबके के लोगों को ही हुआ है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके खिलाफ बोलने वाले को समझ नहीं है. ये लोग समाज सुधार के पक्षधर नहीं हैं. गरीब-गुरबों की बात करने वाले लोग ही उनका भला नहीं सोचते हैं. क्या-क्या तर्कहीन बातें करते रहते हैं. कहते हैं कि शराबबंदी कानून में सबसे ज्यादा गरीब तबके के एक लाख से ज्यादा लोग जेल में बंद हैं, जबकि हकीकत में 8,623 लोग ही जेल में बंद हैं. एक लाख तो राज्य के सभी जेलों की क्षमता तक नहीं है. सीएम ने इस मौके पर राज्य में काम करने वाला टॉल फ्री नंबर शुरू किया, जिस पर कहीं से कभी भी शिकायत की जा सकती है.
नीतीश कुमार ने कहा कि शराबबंदी कानून के अंतर्गत1 अप्रैल, 2016 से 31 मार्च, 2018 तक राज्य में छह लाख 83 हजार 370 छापेमारी हुई. एक लाख पांच हजार 954 मुकदमा दर्ज करते हुए एक लाख 27 हजार 489 लोगों की गिरफ्तारी हुई. जितने गिरफ्तार हुए, वे सभी जेल में बंद हैं, ऐसी बात नहीं है. अब तक राज्य के बाहर के 801 तस्कर गिरफ्तार किये जा चुके हैं.
सीएम ने बिना किसी का नाम लिये कहा कि इन दिनों कैसे-कैसे बयान अखबारों में छपते हैं. इन्हें अकेले में पढ़कर हंसी आती है. जो लोग इस कानून के विरोधी हैं, उनसे पूछना चाहते हैं कि शराब से किस जाति के लोग कम उम्र में ही मरते थे. इस पर भी विचार करने की जरूरत है. जो लोग गरीबों के रहनुमा बनते फिरते हैं, उन्हें ही इनकी चिंता नहीं.
शराबबंदी के समर्थन में हाथ पकड़ खड़े थे, आजकल क्या हो गया है इन्हें : सीएम
सीएम ने कहा कि शराब पीने वाला और पिलाने वाला पकड़ा जाता है, तो इसे अत्याचार कहा जाता है. कानून का उल्लंघन करने वाले धंधेबाजों को गिरफ्तार करना अत्याचार है तो किसी कानून का पालन ही नहीं करवाना चाहिए. ऐसे तो किसी कानून को बना देने के बाद उसका पालन ही नहीं कराना चाहिए. इसका उल्लंघन करने की पूरी छूट दे देनी चाहिए. बस चंद अमीर-उमरांव लोग ही इस कानून से खफा हैं. उन्होंने कहा कि शराबबंदी के समर्थन में बनायी गयी मानव शृंखला में चार करोड़ लोग शामिल हुए. अफसोस इस बात का है कि जो इसमें हाथ पकड़ कर खड़े थे, आजकल उन्हें ही क्या हो गया है. कैसी-कैसी बातें करने लगे हैं. कानून बना लीजिए, लेकिन इसे तोड़ने वालों पर लागू मत कीजिए. ऐसे महान लोग राजनीति में हैं. देश में ऐसा कौन-सा कानून है, जो तोड़ने वालों पर लागू नहीं होता है.
अपनी गलती से किसी को कहां से कहां पहुंचा दिये : नीतीश
इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि अपनी गलती से किसी को कहां से कहां पहुंचा दिये. हम किसी को अंदर से देखने में कोशिश नहीं करते हैं. व्यक्ति को पहचानने में गलती करते हैं. इसी वजह से आज यह स्थिति पैदा हो गयी है. उन्होंने कहा कि पार्टी के लोग आज भी घेरते हुए इस बात की आलोचना करते हुए मजाक करते हैं. कहते हैं आप गलत निर्णय लेते हैं. इसका खामियाजा आज भुगत रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम पर गुस्सा हैं, तो हमें बर्बाद कर दें, लेकिन शराबबंदी कानून को लेकर अतार्किक बातें नहीं करें. आश्चर्य है कि आज कल तथाकथित बुद्धिजीवी भी इसका समर्थन करने लगे हैं. हालांकि सीएम ने अपने किसी विरोधी या आलोचक के नाम का जिक्र नहीं किया. बिना नाम लिये ही विरोधियों पर जमकर हमला किया. उन्होंने कहा कि आजकल लोगों को आता-जाता तो कुछ है नहीं सिर्फ दिनभर ट्वीट-ट्वीट करते रहते हैं.
शराबबंदी केमुद्दे परराजनीतिनहीं :सुशील मोदी
इस मौके पर डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा कि भाजपा विपक्ष में होते हुए भी शराबबंदी कानून का पूरा समर्थन दिया था. विपक्ष में होते हुए भी मानव शृंखला में बढ़-चढ़ कर शामिल हुए. अन्य मुद्दों पर राजनीति हो सकती है, लेकिन इस मुद्दे पर नहीं. सरकार कोई आये, शराबबंदी कानून को खत्म करने की हिम्मत नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि इस कानून को लागू करने में वह सीएम नीतीश कुमार की हिम्मत के कायल हैं. अगर कोई व्यक्ति गलत काम के लिए जेल जाता है, तो समाज के बाकी लोग खुश होते हैं.
1915 के बाद पहली बार बदला गया उत्पाद कानून : बिजेंद्र
उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि 1915 के बाद यह पहला मौका है, जब 2016 में उत्पाद कानून को बदला गया है. इसका पूरा श्रेय मौजूदा मुख्यमंत्री को जाता है. कुछ लोग इतिहास का सृजन करते हैं, जो बेहद ही कठिन काम है. उन्होंने बिना किसी का नाम लिये कहा कि पहले जो इस कानून के समर्थन में खड़े थे, वह आज विरोध कर रहे हैं. दो साल पहले कुछ, दो साल बाद कुछ और. उन्होंने कहा कि ‘प्रभात खबर’ अखबार ने शराबबंदी कानून के बाद आये सामाजिक परिवर्तन को लेकर जो खबरों की पूरी सीरीज छापी है, वह बेहद ही प्रशंसनीय कदम है. इसका अनुसरण अन्य मीडिया को भी करना चाहिए. प्रभार खबर को इसके लिए धन्यवाद भी दिया. ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि शराबबंदी के बाद घर में तनाव नहीं उत्सव का वातावरण है. जीविका की दीदी का इसमें उल्लेखनीय योगदान रहा है.