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सावधान! कहीं होली की खुशियां फीका न कर दे बाजार का मिलावटी खोवा

पटना : होली के कुछ ही दिन शेष हैं. होली खेल कर खोवे से बने पकवान का लोग तो लुत्फ उठाते ही हैं. ऐसे में गुझिया की मिठास होली के रंग में भंग डालने का काम कर सकती है, क्योंकि होली आते ही बाजार में मिलावटी खोवे का कारोबार बढ़ गया है. दरअसल मिलावट की […]

पटना : होली के कुछ ही दिन शेष हैं. होली खेल कर खोवे से बने पकवान का लोग तो लुत्फ उठाते ही हैं. ऐसे में गुझिया की मिठास होली के रंग में भंग डालने का काम कर सकती है, क्योंकि होली आते ही बाजार में मिलावटी खोवे का कारोबार बढ़ गया है. दरअसल मिलावट की वजह खोवे की आपूर्ति की तुलना में मांग का बढ़ जाना है.

बता दें कि दूध की आपूर्ति तकरीबन पूरे साल एक समान बनी रहती है. जबकि त्योहार के मौके पर मांग तीन गुना तक बढ़ जाती है. इसकी पूर्ति के लिए दुकानदार खोवे में मिलावट करते हैं. यह मिलावट स्वास्थ्य के लिहाज से काफी खतरनाक होती है.

शहर में मुख्य रूप से खोवा कानपुर से आता है. इसे कानपुरी खोवा कहा जाता है. इसकी मुख्य मंडी पटना जंक्शन स्थित न्यू मार्केट है, जहां तीन-चार थोक विक्रेता है. कानपुर से पटना में हर दिन लगभग सात से आठ क्विंटल खोवा आता है.

कैसेमिल रहा 250 रुपये प्रति किलो खोवा

250 रुपये प्रति किलो बिकने वाले खोवा की शुद्धता पर तो यों ही प्रश्न चिह्न खड़ा हो जाता है. एक किलो शुद्ध दूध में मात्र 200 ग्राम खोवा निकलता है. इस समय दूध की कीमत 40-50 रुपये प्रति लीटर है. इस तरह एक किलो खोवा तैयार करने में पांच लीटर दूध और ईंधन खर्च होता है. एेसे में 250 रुपये प्रति किलो बिकने वाला खोवा कितना शुद्ध है, इसका अनुमान सहज लगाया जा सकता है. बाजार के जानकारों को कहना है कि शुद्ध व मिलावटी खोवे की पहचान करना मुश्किल है. लिहाजा लोगों को भरोसेमंद दुकान से खोवा लेना चाहिए.

खाद्य अफसरों की नींद है कि टूटती नहीं

अचरज की बात है कि शहर में मिलावट का खेल चल रहा है, वहीं दूसरी तरफ इसे रोकने वाली एजेंसियां गहरी नींद में हैं. बाजार में खाद्य पदार्थों की सेंपलिंग तक नहीं की जा रही है. ऐसे में मिलावट के कारोबार को रोक पाना मुश्किल ही है.

ऐसे तैयार होता है मिलावटी खोवा

मिलावटी खोवा तैयार करने के लिए पीसे हुए आलू, शकरकंद, मैदा, पाम आॅयल, सिंथेटिक दूध, सिंघाड़े का आटा, चीनी आदि असली खोवा में मिलाया जाता है. उसके बाद घी डाल दिया जाता है. सफेदी के लिए आरारोट का उपयोग किया जाता है.

शुद्ध खोवा दानेदार होता है. मिलावटी खोवा को हाथ में लेने पर पाउडर सा छूटता है, क्योंकि उसमें सूखापन होता है. खोवा सफेद या हल्का पीला और कठोर होता है. शुद्ध खोवा होगा तो कच्चे दूध जैसा स्वाद आयेगा. वहीं पानी मिलाते ही खोवा पानी में घुल जाता है. मिलावटी खोवे में सबसे अधिक प्रयोग आलू-शकरकंद, सिंथेटिक मिल्क पाउडर और शुगर का इस्तेमाल किया जाता है. वजन बढ़ाने के लिए अरारोट भी मिलाया जाता है.

खोवे की शुद्धता जांचने के साधारण पानी में घोल कर उसे कुछ देर गर्म करते हैं. घोल को चौड़े बर्तन में लेते हैं. कुछ देर हल्का ठंडा होने देते हैं. फिर टिंचर आयोडिन की 4-5 बूंद डालें. अगर उसका रंग बैगनी या काला हो, तो समझिए की यह मिलावटी खोवा है. टिंचर आयोडिन किसी भी दवा दुकान पर मिल जाता है.

डाॅ महेंद्र प्रताप सिंह, खाद्य विश्लेषक

Prabhat Khabar Digital Desk
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