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बिहार : बाल विवाह में शामिल हुए तो खानी पड़ेगी जेल की हवा

पटना : आप अगर किसी शादी-ब्याह में जा रहे हैं तो तनिक सोच-विचार जरूर कर लें़ यह जानकारी जुटा लीजिए कि यह बाल विवाह तो नहीं है. इसमें दहेज का लेन-देन तो नहीं हुआ है. अगर ऐसा कुछ भी हुआ है तो आप जाने से परहेज करिये़ कहीं से भी अगर नियमों की अनदेखी कर […]

पटना : आप अगर किसी शादी-ब्याह में जा रहे हैं तो तनिक सोच-विचार जरूर कर लें़ यह जानकारी जुटा लीजिए कि यह बाल विवाह तो नहीं है. इसमें दहेज का लेन-देन तो नहीं हुआ है.
अगर ऐसा कुछ भी हुआ है तो आप जाने से परहेज करिये़ कहीं से भी अगर नियमों की अनदेखी कर शादी-ब्याह रचाने की खबर मिली तो संबंधित परिवार के खिलाफ कार्रवाई तो होगी ही, बाराती और संबंधित वैवाहिक सेवाएं देने वाले भी नहीं बख्शे जायेंगे. ऐसा न हो शादी समारोह में शामिल होना महंगा पड़ जाये और जेल की हवा खानी पड़े.
देश में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत ऐसा प्रावधान है कि इसके उल्लंघन में माता-पिता, विवाह कराने वाले धर्मगुरु, बाराती-घराती सभी को दो साल जेल और एक लाख रुपये आर्थिक दंड की सजा हो सकती है. यह कानून अब सख्ती से लागू होगा.
अब सख्ती से लागू होगा कानून, एक लाख रुपये जुर्माना भी
अपराध है बाल विवाह
बाल विवाह पर रोक संबंधी कानून सबसे पहले वर्ष 1929 में पारित किया गया था. बाद में वर्ष 1949, 1978 और 2006 में इसमें संशोधन किये गये. 1929 के बाल विवाह निषेध अधिनियम को निरस्त करके केंद्र सरकार 2006 में अधिक प्रगतिशील बाल विवाह निषेध अधिनियम लेकर आयी़
इसके अंतर्गत उन लोगों के खिलाफ कठोर उपाय किये गये हैं, जो बाल विवाह की इजाजत देते हैं और उसे बढ़ावा देते हैं. इस अधिनियम के अंतर्गत 21 वर्ष से कम आयु के पुरुष और 18 वर्ष से कम आयु की महिला के विवाह को बाल-विवाह के रूप में परिभाषित किया गया है. यह कानून नवंबर, 2007 में प्रभावी हुआ. संक्षेप में यह जान लीजिए कि इस अधिनियम के तहत इस तरह की शादी-ब्याह में शामिल हर व्यक्ति दोषी होगा. चाहे बाराती ही क्यों न हों. इस तरह की शादी कराने वाले सभी लपेटे में आयेंगे.
सभी तरह के विवाह सेवा प्रदाताओं के लिए निर्देश : प्रिंटिंग प्रेस, हलवाई, केटरर, धर्मगुरु, समाज के मुखिया, बैंड वाला, घोड़े वाला, ब्यूटी पार्लर, टेंट हाउस, ट्रांसपोर्ट व्यवसायी किसी भी विवाह में अपनी सेवाएं देने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि विवाह करने वाले लडके की आयु 21 वर्ष एवं लड़की की आयु 18 वर्ष से कम नहीं है. और उनके आयु संबंधी प्रमाणपत्र का परीक्षण करने के उपरांत ही अपनी सेवाएं दें.
हो सकती है दो साल की सजा
सरकार समाज की तरक्की देखना चाहती है. बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ सख्ती उसी का एक हिस्सा है. इसका परिणाम आगे देखने को मिलेगा. इन दोनों कुरीतियों के खात्मे के बाद विकास की रफ्तार बढ़ जायेगी.
अतुल प्रसाद, प्रधान सचिव, समाज कल्याण विभाग
Prabhat Khabar Digital Desk
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