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बिहार सृजन घोटाला : 2003 में एक डीएम के कार्यकाल में काफी फला-फूला ‘सृजन’

पटना : सृजन घोटाले की जांच के दौरान सुपौल के जिला सहकारिता पदाधिकारी पंकज झा के ठिकाने पर छापेमारी में एक पत्र हाथ लगा. इस पत्र ने इसे महाघोटाले के रूप में बदल दिया. साथ ही पत्र ने इसकी शुरुआत वर्ष 2003 से ही होने के साफ संकेत भी दे दिये हैं. यह पत्र उस […]

पटना : सृजन घोटाले की जांच के दौरान सुपौल के जिला सहकारिता पदाधिकारी पंकज झा के ठिकाने पर छापेमारी में एक पत्र हाथ लगा. इस पत्र ने इसे महाघोटाले के रूप में बदल दिया. साथ ही पत्र ने इसकी शुरुआत वर्ष 2003 से ही होने के साफ संकेत भी दे दिये हैं. यह पत्र उस समय के एक डीएम का लिखा हुआ है.
इसमें बाकायदा भागलपुर के सभी प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे सरकारी रुपये सृजन के खाते में जमा करें. सरकारी राशि सृजन के बैंक खाते में जमा करने का यह सिलसिला उस समय से जो शुरू हुआ, यह वर्ष 2008 तक खुले तौर पर चला
इसके बाद जब वित्त विभाग के स्तर पर एक सख्त निर्देश जारी हुआ कि सरकारी राशि सिर्फ सरकारी बैंकों या सरकार की तरफ से चयनित बैंकों में खोले गये पीएल एकाउंट या चालू खातों में ही जमा की जायेगी. अन्य किसी स्थान पर सरकारी राशि जमा नहीं होगी. इस आदेश के बाद भी सृजन का खेल बंद नहीं हुआ, बल्कि पर्दे के पीछे से चोरी-छिपे तरीके से संगठित रूप से होने लगा, जिसमें अधिकारी और सफेदपोश से लेकर सभी स्तर के बड़े और छोटे नुमाइंदे शामिल हो गये. इसने एक संगठित घपले का रूप ले लिया.
वे तत्कालीन डीएम फिलहाल सेवा से रिटायरमेंट लेकर पिछली बार चुनाव भी लड़ चुके हैं. हालांकि, इस मामले को लेकर अभी तक उनकी तरफ से कोई टिप्पणी नहीं आयी है. इस डीएम साहब के कार्यकाल में ही सृजन संस्थान को सरकारी जमीन 30 साल के लीज पर दे दी गयी.
वर्तमान में यह संस्थान इसी स्थान पर चल रहा है. इतना ही नहीं, भागलपुर जिले में इस डीएम साहब के करीब दो वर्ष के कार्यकाल के दौरान सृजन संस्थान को अन्य कई तरह की सुविधाएं दी गयीं. करीब 24 डिसमिल मुफ्त सरकारी जमीन से लेकर सरकारी फंड मिलने से सृजन का विकास बेहद तेजी से हुआ. इसके सदस्यों की संख्या 55 से बढ़ कर 186 तक पहुंच गयी. इन सदस्यों में कई सरकारी अधिकारियों की पत्नियां भी शामिल हैं. एक तत्कालीन एसडीओ की पत्नी भी इसकी सदस्य थीं, जिन्होंने अपने पति को जन्मदिन पर सृजन से लोन लेकर साढ़े सात लाख की हर्ले-डेविडसन मोटरसाइकिल गिफ्ट में दी. इस तरह की कई कहानियां हैं.
सभी फ्रीज खातों के ट्रांजेक्शन की हो रही जांच
इस घोटाले में शामिल 18 आरोपितों के बैंक एकाउंट को फ्रीज किया जा चुका है. इनमें इंदु गुप्ता, डीसीओ पंकज झा, डीडब्ल्यूओ अरुण कुमार समेत अन्य पदाधिकारी शामिल हैं. शुरुआती आकलन के अनुसार, इन खातों में करोड़ों रुपये जमा हैं. इन खातों में जमा रुपये का पूरा ब्योरा जुटाया जा रहा है.
साथ ही इन खातों से जिन-जिन लोगों के एकाउंट में सीधे या घुमा कर रुपये ट्रांसफर हुए हैं, खासतौर से उनकी जांच भी चल रही है. जांच के बाद कई नामचीन लोगों के स्पष्ट रूप से इसके लपेटे में आने की संभावना है. अब तक की जांच में कुछ लोगों से जुड़े लिंक मिले हैं. फिलहाल इससे जुड़े विस्तृत पहलू पर जांच चल रही है.
एमवी राजू बन गया राजू सिंगर
इस डीएम साहब के ही कार्यकाल में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सिलाई मशीन देने की योजना शुरू हुई. इसके अंतर्गत सिलाई मशीन बनाने वाली सिंगर कंपनी के एक एजेंट एमवी राजू (यह मूल रूप से ओड़िशा के कलिंगा का रहने वाला है) को एक बार में डेढ़ हजार से ज्यादा सिलाई मशीन का ऑर्डर दिया गया. इसके कुछ दिनों बाद दूसरा ऑर्डर भी दिया गया. इसमें करीब 250 महिलाओं के बीच सिलाई मशीन बांटी गयी और शेष मशीनें कागज पर ही खरीद ली गयीं. इसके बाद एमवी राजू, राजू सिंगर के नाम से जाना जाने लगा और वह सीधे तौर पर सृजन से जुड़ गया. इसके बाद इसने बड़े स्तर पर धांधली की. एक मशीन एजेंट से वह करोड़ों का मालिक बन गया और अधिकारियों व नेताओं के साथ सृजन के लिए लाइजनिंग का काम करने लगा. हाल में पुलिस ने इसके ठिकानों पर भी छापेमारी की है.
किसी को भी बख्शा नहीं जायेगा : मोदी
पटना. उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने सृजन घोटाले में किसी भी आरोपित को नहीं बख्शने और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि इसमें किसी भी तरह का राजनीतिक संरक्षण की बात सामने आने पर चाहे वह भाजपा, जदयू या फिर राजद के ही नेता क्यों न हो, कड़ी कार्रवाई होगी. कोई कितना भी बड़ा नेता या रसूख वाला हो, आरोप प्रमाणित होने पर उन्हें पकड़ा जायेगा और जांच प्रभावित नहीं होगी. इस सरकार का गठन भ्रष्टाचार के खिलाफ हुआ है और किसी भी तरह का भ्रष्टाचार बरदाश्त नहीं किया जायेगा. मंगलवार को बिहार विधानसभा की कार्यवाही के बाद पत्रकारों से उन्होंने कहा कि पूरे मामले की वित्तविभाग की टीम भी अपने स्तर पर ऑडिट कर रही है. सृजन अनियमितता का मामला 2003 में ही शुरू हो गया था.
उस समय राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थीं. वहीं, स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव रहते हुए भी राशि निकाल कर सृजन के खाते में डाली गयी है. उन्होंने कहा कि हम राबड़ी देवी और तेज प्रताप यादव को इसके लिए दोषी नहीं मानते हैं, क्योंकि उन तक यह मामला नहीं आता है. किसी सरकार के कार्यकाल में घोटाला होने से जरूरी नहीं कि उनकी संलिप्तता हो. यह सब जांच में पता चलेगा और दोषियों पर कार्रवाई होगी.
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि अब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद सीबीआइ पर आरोप नहीं लगायेंगे कि वह फंसाती है. वे ही मांग कर रहे थे कि सीबीआइ जांच होनी चाहिए और अब कह रहे हैं कि उसकी मॉनीटरिंग कोर्ट करे, तो वे इसके लिए कोर्ट जाने को स्वतंत्र हैं. उन्होंने कहा कि सृजन की सचिव रही स्व मनोरमा देवी कांग्रेस नेता सुबोधकांत सहाय व झारखंड के कांग्रेसी नेताओं की करीबी रही हैं, लेकिन इस आधार पर उन्हें दोषी नहीं माना जा सकता है. मामले को दबाये जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार ने खुद पूरे मामले को उजागर किया है. इसे दबाने का कोई सवाल ही नहीं है. अब्दुल बारी सिद्दीकी खुद 18 महीने वित्त मंत्री रह चुके हैं, क्यों नहीं मामले को उठाया? सरकार के संज्ञान में मामला आने के बाद तुरंत जांच करवायी गयी.

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