प्रतिनिधि, नवादा कार्यालय
बच्चों को बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण करवाना जरूरी है. हालांकि, लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि किस उम्र में कौन-सा टीका लगवाया जाए. बीमारीयों से बचने का एकमात्र रामवान इलाज है वैक्सीनेशन. कोरोना, इंफ्लूएंजा मंकीपॉक्स व अन्य कई वायरस के बढ़ते खतरों के बीच वैक्सीनेशन का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है. विशेषकर बच्चों के लिए डॉक्टर कई तरह के वैक्सीनेशन करवाने की सलाह देते हैं. वैक्सीनेशन बच्चों के शरीर को वायरस व बीमारियों से बचाने में मदद करता है. हालांकि, आज भी भारत जैसे विकासशील देशों में बच्चों के वैक्सीनेशन को लेकर जागरूकता कम देखी जाती है. हालांकि, टीकाकरण में आशा और सदर अस्पताल के अलावा स्वास्थ्य विभागों में काम करने वाले कर्मियों की भूमिका होती अहम है. आशा व नर्सिंग ड्यूटी स्टाफ लोगों के घरों तक जा जाकर टीकाकरण करवाने में सक्षम होते हैं.क्या कहते है आंकड़े
स्वास्थ्य विभाग की ओर से गर्भवती महिलाओं व नवजात शिशुओं के लिए मातृ व बाल सुरक्षा कार्ड उपलब्ध कराया जाता है. इस कार्ड के जरिये नवजात शिशुओं के लिए टीकाकरण के संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करायी गयी है. प्रसव होने के दौरान शिशुओं में संपूर्ण टीकाकरण के लिए गर्भवती महिलाओं को मातृ एवं बाल सुरक्षा कार्ड उपलब्ध कराया जाता है.
क्या कहते हैं शिशु रोग विशेषज्ञशिशु रोग विशेषज्ञ का कहना है कि बच्चों में सभी प्रकार के टीकाकरण को करना अत्यंत आवश्यक है. सरकार की ओर से सभी टीकाकरण निशुल्क सभी स्वास्थ्य केदो में कराया जाता है. सभी लोग निश्चित समय पर टीकाकरण अवश्य करवाएं. टीकाकरण करवाने से अनेक तरह की बीमारियों से लोगों को छुटकारा मिलता है और वह आने वाले समय में अपने आप को स्वस्थ महसूस करते हैं.
डॉ. नितिश कुमार, एमडी, शिशु रोग विशेषज्ञ, सदर अस्पताल, नवादा
क्या कहते हैं अधिकारीजिला स्वास्थ्य समिति की ओर से आशा, एएनएम को ट्रेनिंग दी जाती है. स्वास्थ्यकर्मीयों के द्वारा शिशु का टीकाकरण किया जाता है. सुरक्षित प्रसव और टीकाकरण में आशा, एएनएम अपनी अहम भूमिका निभाती हैं. जिले के सभी नवजात शिशुओ की माताओं से अनुरोध है की अपने नवजात शिशुओ का संपूर्ण टीकाकरण कराएं.
डॉ योगेंद्र प्रसाद, डीआइओ, सदर अस्पताल, नवादा
0 से 16 वर्ष तक दिये जाने वाले टिका
जन्म लेने पर : बच्चों के जन्म लेने पर स्वस्थय विभाग नवजात बच्चे को ओपीवी- 0, बीसीजी और हेपेटाइटिस-बी (बर्थडोज) दिया जाता है.
छह सप्ताह पर : नवजात शिशु की उम्र छह सप्ताह हो जाने पर ओपीवी -1, रोटा -1, एफआइपीवी 1, पीसीवी -1, पेन्टावैलेंट-1
10 सप्ताह पर : ओपीवी- 2 रोटा- 2 पेंटवैलेंट – 2
14 सप्ताह पर : ओपीवी- 3 रोटा- 3 एफआइपीवी 2, पीसीवी- 2, पेंटावैलेंट – 3
9 से 12 महीने पर : एफआइपीवी – 3 एमआर – 1 पीसीवी- बूस्टर जेइ-1
16 से 24 महीने पर : ओपीवी- बूस्टर एमआर-2 डीपीटी बूस्टर-1 जेइ-2
5 से 6 वर्ष पर : डीपीटी बूस्टर-2
10 वर्ष पर : टी डी
16 वर्ष पर : टी डी
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