वैदिक मंत्रोच्चारण से शहर व गांव का वातावरण हुआ भक्तिमय
प्रतिनिधि, वारिसलीगंज
शक्ति की अराधना का महापर्व नवरात्र सोमवार को कलश स्थापना के साथ ही शुरू हो गया. इस दौरान प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत शहरी व ग्रामीण इलाकों के देवी मंदिरों और घरों में धार्मिक अनुष्ठान के साथ नवरात्र के प्रथम दिन कलश स्थापित कर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मां दुर्गा के प्रथम रुप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की गयी. मां के जयकारे, शंख, मंत्र, घंटा से मंदिर व घर गुंजते रहे. शारदीय नवरात्र को लेकर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखने को मिला.पंडितों ने बताया कि महाभारत पुराण के अनुसार, दक्ष प्रजापति ने अपने यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया था. जबकि सती ने शिव से उस यज्ञ में जाने की अनुमति मांगी थी. तब शिव ने सती को रोकने का प्रयास किया था, लेकिन सती अपनी जिद पर अड़ी हुई थी. मां-पार्वती ने कहा था कि अगर यज्ञ में आपको सम्मान नहीं मिला तो यज्ञ को ही नष्ट कर दूंगी. यह कहते ही उमा के नेत्र लाल हो गये. भागवत पुराण में यह भी कहा गया है कि यज्ञ के आयोजन में भगवान शिव को दक्ष द्वारा अपमानित किया गया था. इस कारण सती ने अपने शरीर को यज्ञ की अग्नि में भस्म कर लिया था. सती अगले जन्म में हिमालय की पुत्री के रूप में अवतरित हुई और शैलपुत्री के नाम से विख्यात हुई.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

