जरूरत. 350 यूनिट रक्त रखने की क्षमतावाले ब्लड बैंक में मात्र 21 यूनिट खून
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सदर अस्पताल को चाहिए ब्लड
जरूरत. 350 यूनिट रक्त रखने की क्षमतावाले ब्लड बैंक में मात्र 21 यूनिट खून निगेटिव रक्त की कमी नवादा कार्यालय : हेल्थ इमरजेंसी के दौरान खून की कमी का होना अक्सर चिंता का कारण बन जाता है. जैसे ही डॉक्टरों ने कहा कि मरीज को खून चढ़ाना होगा, पर परिजनों की चिंता बढ़ जाती है. […]
निगेटिव रक्त की कमी
नवादा कार्यालय : हेल्थ इमरजेंसी के दौरान खून की कमी का होना अक्सर चिंता का कारण बन जाता है. जैसे ही डॉक्टरों ने कहा कि मरीज को खून चढ़ाना होगा, पर परिजनों की चिंता बढ़ जाती है. कहां से खून लाना है, किस ग्रुप का है, मिलेगा या नहीं, वगैरह-वगैरह. इसी परेशानी को कम करने को लेकर सरकारस्तर पर सदर अस्पताल में ब्लड बैंक की स्थापना की गयी है. इन दिनों यह ब्लड बैंक रक्त की कमी की दौर से गुजर रहा है. अपनी क्षमता के अनुरूप इसके कोष में रक्त जमा नहीं है.
इसे लेकर आये दिन मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ जाती है.
सदर अस्पताल के ब्लड बैंक में 350 यूनिट रक्त रखने की क्षमता है. यह रक्त विशेष परिस्थितियों में मरीजों के काम आते हैं. इसके बैंक में अभी मात्र 21 यूनिट रक्त ही जमा है. यह इसकी क्षमता से काफी कम है. इसके कारण अक्सर लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. मरीजों को ग्रुपवाले परिजनों अथवा मित्रों की तलाश करनी पड़ती है.
किन-किन ग्रुपों के हैं रक्त
इस ब्लड बैंक में रखे 21 यूनिट रक्त में निगेटिव ग्रुप के रक्त का अभाव है. हालांकि कई निगेटिव समूह के रक्त मिलने मुश्किल होते हैं, पर उपलब्धता के हिसाब से सदर अस्पताल की हालत चिंताजनक है. वैसे इन दिनों जिले में रक्त डोनेट करने की प्रवृति लोगों में पनपी है. इससे उम्मीद लगायी जाती है कि शीघ्र ही इस कमी को पूरा कर लिया जायेगा. जानकारी के मुताबिक ए पॉजिटिव- पांच यूनिट, बी पॉजिटिव-आठ यूनिट, ओ पॉजिटिव-पांच यूनिट, एबी पॉजिटिव-दो यूनिट, ए निगेटिव-उपलब्ध नहीं, बी निगेटिव-एक यूनिट, ओ निगेटिव-उपलब्ध नहीं एबी निगेटिव-उपलब्ध नहीं.
रख-रखाव की व्यवस्था
रक्त संग्रह को लेकर सरकारस्तर पर ब्लड बैंक में प्रचुर संसाधनों की उपलब्धता करवायी गयी है. इसके लिये चार लैब टेक्निशियन, एक एएनएम व एक प्रभारी चिकित्सक भी उपलब्ध हैं. बेहतर रख-रखाव को लेकर फ्रीज है. इसके संचालन के लिए जेनरेटर की अतिरिक्त व्यवस्था भी है.
किन-किन जगहों से होती है व्यवस्था
जिले की सामाजिक संस्थाएं से जुड़े लोग स्वेच्छा से रक्तदान करते हैं. इसे लेकर समय-समय पर कैंप का भी आयोजन किया जाता है. सदर अस्पताल प्रबंधन अपने स्तर पर भी विशेष अवसरों पर कैंप का आयोजन करता है. इसके अलावा कई एनजीओ भी हैं, जिसे विभाग के स्तर पर रक्तदान के लिये प्रोत्साहित किया जाता है. हालांकि जिले में स्वेच्छा से रक्तदान करनेवालों की संख्या कम ही है. इसी कारण ब्लड बैंक का खजाना भी खाली पड़ा रहता है. शहर के बजरंग दल, रोटरी क्लब, इनर व्हील (महिलाओं की संस्था), स्थानीय बैंक आदि भी समय-समय पर रक्तदान कर जनहित में अपने रक्त जमा कराते रहे हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
ब्लड बैंक पूरी तरह से आमलोगों द्वारा दान में दिये गये रक्त पर निर्भर करता है. इसे मानवीय कार्य समझ कर सामाजिक संगठन व मानवहित की चिंता करनेवाले लोग अक्सर ब्लड डोनेट करते हैं. समय-समय पर इसे जरूरतमंदों को उपलब्ध करा कर जिंदगी बचायी जाती है. सरकारस्तर पर कई एनजीओं को इसके लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित कर कैंप लगाने के निर्देश दिये जाते हैं. अस्पताल प्रबंधन भी इसके लिए प्रयासरत है.अभी बिहार दिवस के मौके पर डीएम व अन्य अधिकारियों ने भी रक्तदान किया है. आमलोगों को भी इसके लिए आगे आना चाहिए.
दर्पण कुमार, इंजार्ज,ब्लड बैंक
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