राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाती ये बचपन फोटो-नवादा कार्यालयबचपन के सतरंगी सपने. पंख फैलाए असीम आसमान को छू लेने की कल्पना. आधुनिकता के दौर में सुख-सुविधाओं से लैस गगनचुुंबी इमारतों की दुनिया के बीच अपनी एक खास पहचान बनाने की ललक. छोटे शहरों की सीमाओं को लांघते हुए राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच जाने का जुनून. कुछ ऐसे ही विश्वास से लबरेज शहर की कुछ बाल प्रतिभाओं का बाल दिवस पर प्रभात खबर का सलाम. कत्थक की भाव-भंगिमाओं से पहचान बनाती ग्रेसीउपलब्धियांबौद्ध महोत्सव, 2015 में अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के बीच प्रदर्शनराजगीर महोत्सव, 2009-2014 तक मुख्य कलाकार में शामिल सोनपुर महोत्सव, 2013 कुंडलीपुर महोत्सव, 2011 व 2013बिहार बाल श्री सम्मान, 2013छह वर्ष की आयु में स्वतंत्रता दिवस, 2009 में नगर भवन, नवादा में कत्थक की बारीकियों का पहला प्रदर्शन.तीजन बाई, शोभना नारायण, मालिनी अवस्थी, प्रीतम चक्रवर्ती, अलका याज्ञनिक, शान, देवी, तृप्ति शाक्या जैसे प्रतिष्ठित कलाकारों के साथ मंच साझा कर जिले का गौरव बढ़ाया.राज्य में नहीं है सांस्कृतिक विश्वविद्यालय : ग्रेसी बाल दिवस पर सभी बच्चों को शुभकामनाएं. कत्थक एवं अन्य कलात्मक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शिरकत करने के लिए उच्च स्तरीय प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है. परंतु, राज्य में ऐसा कोई भी मानक विश्वविद्यालय नहीं है. बिहार के कलाकारों को दूसरे राज्यों से संगीत व नृत्य का प्रशिक्षण लेना नहीं पड़े. इसके लिए मुख्यमंत्री से एक नृत्य कला, संगीत का सांस्कृतिक विश्वविद्यालय आरंभ करने की अपील करती हूं.विज्ञान अनसुलझी पहेलियों को सुलझाती श्वेता कौरउपलब्धियां20 वां राष्ट्रीय स्तर बाल विज्ञान कांग्रेस, 2012 में राज्य का प्रतिनिधित्वआइआइटी, खड़गपुर में भारत सरकार, डीएसटी, एनसीएसटीसी द्वारा फेलोशिप कार्यक्रम के अंतर्गत इंटर्नशीपइन्सपायर, 2012 में ए मॉडल ऑफ एनिमल सेल ऑन ए फाइबर प्लेट का प्रदर्शनराष्ट्रीय बालिका दिवस, 2012 में किशोरी सांसदडाक टिकट महोत्सव, 2013 में पत्र लेखन प्रतियोगिता में प्रथम आठ वर्ष की आयु से जिला स्तर की प्रतियोगिता में प्रतिभागिता कर उच्च स्थान हासिल कियाविज्ञान के क्षेत्र के साथ कला, निबंध, क्विज, सहित भरतनाट्यम में है पारंगतछोटे शहर की लड़कियों को झेलनी पड़ती है कई समस्याएं : श्वेता कौरछोटे शहर की लड़कियों को कई समस्या झेलनी पड़ती है. सबसे पहले सामाजिक बहिष्कार का सामना होता है. ऐसे में पारिवारिक समर्थन खासकर पिताजी का सहयोग आत्मबल को बढ़ाता है. समाज के लोगों से लड़कियों को पढ़ाने और प्रत्येक क्षेत्र में सहयोग करने की अपील करती हूं. बाल दिवस पर सभी शुभकामनाएं.स्टेडियम में कुलांचे भरती सपना कुमारीउपलब्धियांराष्ट्रीय हैंडबॉल प्रतियोगिता, 2015 में राज्यस्तरी टीम की तरफ से सेंटर प्लेयर में चयनक्वार्टर फाइनल में टीम को पहुंचाने में रही अव्वल भूमिकाराज्य स्तर पर चार बार कर चुकी है जिले का प्रतिनिधित्वटीम को समन्वय में लेकर विपक्षी टीम पर हमला बोलने में है माहिर खिलाड़ीकिसान परिवार से नाता रखनेवाली सपना कुमारी मेहनत, धैर्य और लगन के बल पर राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी है10 साल के उम्र से हैंडबॉल की प्रैक्टिस कर टीम में जगह बनाने में कामयाब हुईछोटे शहर की लड़कियों को नहीं मिला उचित अवसर : सपनाबाल दिवस पर हम बालिका वर्ग की खिलाड़ियों के उत्साहवर्द्धन पर धन्यवाद. आज के आधुनिक युग में भी छोटे शहर की लड़कियों को उचित अवसर नहीं मिल पाता. बिहार सरकार पहल करके हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका उपलब्ध करायें. समाज में महिला खिलाड़ियों को सम्मान की दृष्टि से देखा जाये. राष्ट्रीय स्तर पर जिले का प्रतिनिधित्व करके गौरवान्वित महसूस करती हूं.
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राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाती ये बचपन
राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाती ये बचपन फोटो-नवादा कार्यालयबचपन के सतरंगी सपने. पंख फैलाए असीम आसमान को छू लेने की कल्पना. आधुनिकता के दौर में सुख-सुविधाओं से लैस गगनचुुंबी इमारतों की दुनिया के बीच अपनी एक खास पहचान बनाने की ललक. छोटे शहरों की सीमाओं को लांघते हुए राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच जाने का […]
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