नवादा नगर : मछलियों को बाजार में बेचने के पहले इसे साफ पानी से सफाई धोयें, संरक्षित रखने के लिए समुचित बर्फ इस्तेमाल करें इससे लंबे समय तक मछली सुरक्षित रखा जा सकेगा. उक्त बातें पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के द्वारा जारी निर्देशों में कही गयी है.
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मछली उत्पादन बढ़ाने के साथ बिक्री पर भी दें ध्यान
नवादा नगर : मछलियों को बाजार में बेचने के पहले इसे साफ पानी से सफाई धोयें, संरक्षित रखने के लिए समुचित बर्फ इस्तेमाल करें इससे लंबे समय तक मछली सुरक्षित रखा जा सकेगा. उक्त बातें पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के द्वारा जारी निर्देशों में कही गयी है. जिले में मछली उत्पादन बढ़ाने के साथ […]
जिले में मछली उत्पादन बढ़ाने के साथ ही उत्पादित होने वाली मछलियों के बिक्री को बढ़ावा देने पर भी व विभाग ने जोर दिये जाने की बात कही है. विभाग के द्वारा बिक्री के लिए क्या करें व क्या नहीं करें का निर्देश जारी किया गया है. मछली पालकों व बिक्री करने वालों को मदद के लिए भी विभागीय स्तर पर मदद की जा रही है.
जिले में मांग के अनुरूप मछली का उत्पादन नहीं हो पाता है ऐसे में बाहर से आने वाली मछलियों पर निर्भर रहना पड़ता है. जिले में मांग के अनुरूप मछली का उत्पादन कम है. अनुमान के अनुसार प्रतिदिन 10 से 12 क्विंटल मछली जिला में बाहर से मछली मांगवायी जाती है. सुखाड़ क्षेत्र होने के कारण मछली पालन के लिए आदर्श व्यवस्था जिले में नहीं है.
बावजूद जिले में बने आठ डैम व अन्य प्राइवेट व सरकारी तालाबों से सामान्य रूप से छह से सात क्विंटल मछली प्रतिदिन उत्पादन होता है, जो जिले के अलावे कोडरमा व अन्य दूसरे जिलों में सप्लाई किये जाते हैं. मत्स्य पालन विभाग मछली पालन को प्रोत्साहन देने के लिए कई प्रकार के कार्यक्रम व योजनाएं चला रही हैं. मछली पालन से जुड़े लोगों को विभिन्न प्रकार की योजनाओं के लाभ के साथ प्रशिक्षण भी दिलाने की व्यवस्था की गयी है.
तालाब बनाने के लिए मिलता है सरकारी सहयोग : नये तालाब निर्माण के लिए राज्य सरकार के द्वारा कई योजनाएं शुरू की गयी है. मुख्यमंत्री मत्स्य विकास योजना के तहत कम गहरे 3 हेक्टेयर तथा गहरे तालाब बनाने के लिए 2 हेक्टेयर जमीन पर अनुदान दिया जा रहा है.
सरकार की ओर से सभी कोटि के लोगों को योजना के तहत 40 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में नया तालाब बनाने के लिए दिया जायेगा. इसके लिए मत्स्य पालन विभाग में आवेदन लिये जा रहे हैं. एससीए एसटी कोटि के लिए अलग से 11 एकड़ क्षेत्र में तालाब बनाने के लिए आवेदन लिये जा रहे हैं. इस कोटि के लोगों को तालाब बनाने के लिए 90 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है.
क्या कहते हैं अधिकारी
मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए विभागीय स्तर पर मदद किये जाते हैं. नये तालाबों को खोदने पर विशेष अनुदान दिये जाने की योजना है. मछली पालन के लिए किसानों को जरूरी सलाह व इलाज आदि में मदद की जाती है. उत्पादन व बिक्री की सही पद्धति को अपनायी जाये, तो अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है. इस पर काम करने की जरूरत है.
चित्तरंजन कुमार, मत्स्य प्रसार पर्यवेक्षक
मछली विक्रेताओं के लिए जारी निर्देश
विक्रेता क्या करें…
मछली को साफ पानी से धोकर रखें.
मछली को संरक्षित रखने के लिए समुचित आइस बाॅक्स का प्रयोग करें, इससे सात से आठ से अधिक समय तक मछली को सुरक्षित रखा जा सकता है.
जिंदा मछली बाजार में बेचने के लिए प्लास्टिक टब, एयरेटर आदि का प्रयोग करना चाहिए, इससे ऑक्सीजन की मात्रा बनाये रखने में मदद मिलती है, जो विक्रेताओं के लिए फायदेमंद होगा.
मछली के कंटेनर में पानी थोड़ी-थोड़ी देर पर बदलते रहें
बाजार में बेचने के योग्य मछलियों को आहार देना बंद कर देना चाहिए.
साफ-सफाई पर ध्यान दें, इससे ग्राहकों को भी आपके पास पहुंचने में अच्छा लगेगा.
विक्रेता क्या न करें…
प्राय: देखा जाता है कि बाजार में मछलियों की बिक्री के लिए दूसरे मछली का खून अन्य मछली पर डाल दी जाती है इससे मछली जल्द खराब होने लगती है. इससे बचें
मछली को ताजा दिखाने के लिए सिंदूर, आलता आदि का प्रयोग किया जाता है, जो गलत है इससे खानेवालों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है.
मछली काटने के फासूल या कत्ता को जंग रहित होना चाहिए, ताकि संक्रमण का खतरा नहीं हो.
मछली के चोइटां को साफ करने के लिए लोहा के ब्रश का उपयोग होता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है इसकी जगह लकड़ी या प्लास्टिक के ब्रश का उपयोग लाभकारी है. लोहे के ब्रश का संपर्क मछली के मांस से होने पर टिटनेश जैसे बीमारी का खतरा होता है.
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