बिहारशरीफ : ईद उल जुहा (बकरीद) त्योहार को लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है. जिले के मसजिदों व इदगाहों को इस त्योहार को लेकर विशेष रूप से रंगाई पुताई की गयी है. 13 सितंबर को मनाये जाने वाले इस पर्व को लेकर मुसलमान भाइयों में विशेष उत्साह देखा जा रहा है. शहर के कागजी मोहल्ले में स्थित एक मात्र ईदगाह है, जहां ईद व बकरीद की विशेष नमाज अदा की जाती है. ईद व बकरीद की नमाज आदा करने वालों की संख्या ज्यादा स्थानीय बड़ी दरगाह में होती है.
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बकरीद 13 को मनायी जायेगी, तैयारी पूरी
बिहारशरीफ : ईद उल जुहा (बकरीद) त्योहार को लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है. जिले के मसजिदों व इदगाहों को इस त्योहार को लेकर विशेष रूप से रंगाई पुताई की गयी है. 13 सितंबर को मनाये जाने वाले इस पर्व को लेकर मुसलमान भाइयों में विशेष उत्साह देखा जा रहा है. शहर के […]
उसके बाद कागजी मोहल्ले के ईदगाह का नंबर आता है. मकताब आलम मखुदमी बताते हैं कि ईद उल जुहा रमजान माह के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिन बाद ई उल जोहा मनाया जाता है. इसलामिक मान्यता के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने पुत्र हरजत इस्माइल को इस दिन खुदा के हुकम परखुदा की राह पर कुर्बान करने जा रहे हैं. तब अल्लाह ने उनके पुत्र को जीवनदान दे दिया. इसी की याद में यह पर्व मनाया जाता है. इस त्योहार में मुसलमान भाई बकरे की कुर्बानी देते हैं. बकरीद को इस्लाम धर्म में पवित्र पर्व माना जाता है.
इमाम मखदुमी बताते हैं कि इस्लाम धर्म में दो तरह की ईद मनायी जाती है. एक मिट्टी ईद दूसरी बकरीद. मीठी ईद समाज में प्रेम की मिठास घोलने का संदेश देती है. जबकि बकरीद अपने कर्तव्य के लिए जागरूक होने का सबक देती है. ईद उल जुहा हमें कुरबानी का पैगाम देती है. यह त्योहार न सिर्फ जानवर की कुरबानी देना सिखाता है, बल्कि धन दौलत और हर वो चीज जो हमें दुनियावी लालच में गिरफ्तार करती है और बुरे काम को बढ़ावा देती है. उसका अल्लाह की राह में त्याग करना सिखाती है.
बकरीद की नमाज का निर्धारित समय
बड़ी शेखाना मदीना मसजिद – 7:30 बजे
कागजी मोहल्ला ईदगाह – 8:00 बजे
नेहाल मसजिद अखाड़ा – 7:00 बजे
बुखारी मसजिद गगनदीवान – 7:30 बजे
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