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जिले के 41 से अधिक मिलरों पर है बकाया

आर्थिक अपराध इकाई में भी चल रहे दो के मामले बिहारशरीफ : बकायेदार मिलरों पर अब भी करोड़ों रुपये का बकाया है. जिले के 41 से ऊपर मिलरों पर करीब 44 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है. बकायेदार मिलर सरकार के करीब 44 करोड़ रुपये से अधिक का चावल गटके हैं. ऐसे मिलरों पर […]

आर्थिक अपराध इकाई में भी चल रहे दो के मामले

बिहारशरीफ : बकायेदार मिलरों पर अब भी करोड़ों रुपये का बकाया है. जिले के 41 से ऊपर मिलरों पर करीब 44 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है. बकायेदार मिलर सरकार के करीब 44 करोड़ रुपये से अधिक का चावल गटके हैं. ऐसे मिलरों पर नीलाम पत्र से लेकर एफआईआर तक की जा चुकी है. जिले के 16 मिलरों पर तो सर्टिफिकेट केस चल रहा है, जबकि 35 मिलरों पर अब तक एफआईआर की जा चुकी हैं. कार्रवाई की जद में आनेवाले कई मिलर तो 2012 से ही रकम हड़पे हैं. और तो और इन मिलरों का साथ देने का आरोप अनाज गोदाम प्रभारी पर भी लग चुके हैं. ऐसे बारह कर्मचारियों पर भी एफआईआर की गयी है.
पूर्व जिला खाद्य निगम के मैनेजर पर एफआईआर भी हो चुकी है. इन पर भी गंभीर आरोप लगे है. कार्रवाई की जद में बिहारशरीफ के पूर्व अनाज गोदाम प्रभारी सह बीएओ भी आ चुके हैं. बकायेदार मिलरों पर रकम बकाया पुरानी बात हो गयी है. कई ने तो कोर्ट की शरण ले ली है. चर्चा यहां तक कि एक मिलर जो आवासीय पता दिया है वह भी गलत है. दो मिलरों पर आर्थिक अपराध इकाई में मामला चल रहा है. कई मिलरों पर तो पांच से दस करोड़ रुपये का बकाया है.
हाल के दिनों में चार पैक्स पर भी कार्रवाई : वित्तीय साल 2017-18 से नियमों में बदलाव किया गया है. अब पैक्स को धान खरीद से लेकर चावल जमा करने का दायित्व दिया गया है. पहले मिलर को अनुबंधित किया जाता था. इसके कारण कार्रवाई की जद में क्रयकेता नहीं आ पाते थे. नये नियम से धान खरीद एजेंसी को ही सारा कार्य सौंपी गयी है. नियमों का अनुपालन तरीके से किये जाने के कारण ही इस साल धान का क्रय कम हो पाया. 1.50 लाख टन में से 60 हजार टन ही हो पाया. इसका फायदा यह कि इस बार 90 फीसदी सीएमआर समय पर गोदामों में जमा हो गया. हालांकि इस बार भी समय पर चावल नहीं दिये जाने के कारण चार पैक्स पर कार्रवाई की गयी है.
क्या है पूरा मामला
कुछ साल पहले तक धान खरीद के बाद प्रशासन द्वारा राइस मिलरों को अनुबंध किये जाने का प्रावधान था. इसके तहत विभाग के द्वारा मिलरों को अनुबंधित किया जाता है. धान लिये जाने के बाद दर्जनों मिलरों ने न तो धान ही लौटाया नहीं चावल को जमा किया. ऐसे मिलरों द्वारा 44 करोड़ से अधिक की राशि का चावल गटक गया.
बताया जाता है कि इस खेल में विभाग के कर्मी की भी मिलीभगत होने की बात कही जा रही है. मिल मालिक के साथ-साथ एजीएम भी शामिल थे.यही कारण है कि कई एजीएम पर भी विभाग के द्वारा कार्रवाई चल रही है. यह भी चर्चा है कि नियमों को ताक पर रखकर मिलरों को उक्त समय धान दे दिया गया था. पूर्व के वर्षों में क्षमता से अधिक धान कुटने के लिए दे दिया गया था.

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