प्रशासन ने सरस्वती नदी में स्नान पर लगायी रोक
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साधु-संतों ने गुरुनानक कुंड में किया पहला स्नान
प्रशासन ने सरस्वती नदी में स्नान पर लगायी रोक राजगीर (नालंदा) : मलमास मेले का दूसरा शाही स्नान शुक्रवार हुआ. शाही और पूर्णिमा स्नान को लेकर साधु-संतों और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. लगभग पांच लाख लोगों ने सप्तधारा, ब्रह्मकुंड समेत अन्य कुंडों और नदियों में डुबकी लगायी. प्रशासन ने शाही स्नान को लेकर विशेष […]
राजगीर (नालंदा) : मलमास मेले का दूसरा शाही स्नान शुक्रवार हुआ. शाही और पूर्णिमा स्नान को लेकर साधु-संतों और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. लगभग पांच लाख लोगों ने सप्तधारा, ब्रह्मकुंड समेत अन्य कुंडों और नदियों में डुबकी लगायी. प्रशासन ने शाही स्नान को लेकर विशेष व्यवस्था की थी. कुंड के मेन गेट को सुबह तीन बजे के बदले मध्य रात्रि दो बजे ही खोल दिया गया था. डीएम और एसपी विधि-व्यवस्था पर नजर रखे हुए थे. मंगलवार की मध्य रात्रि दो बजे से 07ः30 बजे तक आम जनों को कुंड में स्नान की अनुमति दी गयी. वहीं, सुबह के 07ः30 बजे से साधु-संतों के स्नान के लिए आम लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी गयी. विभिन्न मठों के मठाधीशों ने कुंडों में श्रद्धा की डुबकी लगायी. साधु संतों और मठाधीशों ने परंपरा के अनुसार सबसे पहले गुरुनानक कुंड में स्नान किया. उसके बाद सप्तधारा फिर ब्रह्मकुंड और फिर सूर्य कुंड में स्नान कर धार्मिक लाभ लिया. गाजे-बाजे के साथ रथ पर सवार मठाधीशों के साथ रहे अन्य श्रद्धालुओं ने आकर्षक तलवार बाजी का प्रदर्शन किया.
झांकी देखने के लिए उमड़े लोग
पुरानी लंका झुनकी बाबा मंदिर, खाती चैक, त्रिदंडी आश्रम, कैलाश आश्रम, बड़ी संगत, कबीर मठ, हनुमानगढ़ी, धनिमा, नवादा संगत सहित अन्य मठों से साधु-संतों की आकर्षक झांकी निकाली गयी. इन झांकियों में शामिल लोगों के द्वारा तरह-तरह के कलाबाजी लाठी, तलवार, भाले और गड़ांसे से दिखाये जा रहे थे. इसे देखने के लिए सड़क के दोनों किनारे पर लोगों को हुजूम उमड़ पड़ा.
पूर्णिमा स्नान का है विशेष महत्व
मलमास मेले के दौरान शाही स्नान का विशेष महत्व है. एक माह तक चलने वाले मलमास मेले के दौरान अमावस्या और पूर्णिमा को साधु संतों का शाही स्नान की परंपरा है. पूरे मलमास में एक ही पूर्णिमा पड़ता है. इस कारण इस पूर्णिमा के स्नान का विशेष महत्व है. पूर्णिमा स्नान से पूर्णता की प्राप्ति होती है. यही कारण है कि पूर्णिमा के दिन यहां के कुंडों में स्नान करने के लिए लाखों लोग पहुंचते हैं. चीदात्मन जी महाराज उर्फ फलाहारी बाबा ने कहा कि मलमास मेले के पूर्णिमा स्नान से सारे मनोरथ पूर्ण होते हैं. धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष सभी पदार्थों की प्राप्ति होती है. पूर्णिमा के समय चंद्रमा में अमृत परिपूर्ण हो जाता है.
जय श्रीराम व हर-हर महादेव से गूंजीं राजगीर की वादियां
शाही स्नान को लेकर निकाले गये जुलूस में साधु-संतों के साथ ही बड़ी संख्या में उनके अनुयायियों ने भी भाग लिया. इस दौरान उनके द्वारा जय श्री राम हर हर महादेव के नारे लगाये जाते रहे. बीच-बीच में शंख ध्वनि और घंटे की आवाज गूंजती रही. पूरा शहर भक्तिभाव में डूबा नजर आया.
स्काउट एंड गाइड के बच्चों ने भी संभाला मोर्चा
कुंड में लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल तो तैनात थे. साथ ही नालंदा सेवा समिति के द्वारा स्काउट एंड गाइड के कैडेट्स लोगों को स्नान कराने कुंड से लोगों को सुरक्षित निकालने और अन्य सहायता में लगे रहे.
तीन से चार घंटे लाइन में लगे रहे श्रद्धालु
पूर्णिमा और शाही स्नान को लेकर सोमवार को लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. बैरीकेडिंग छोटी पड़ गयी. बैरीकेडिंग के बाहर सड़क के किनारे वीरायतन मोड़ से लेकर कन्वेंशन सेंटर तक लोगों की लाइन लगी रही. सबसे ज्यादा महिलाओं की भीड़ देखी गयी. कई महिलाओं ने कहा कि सुबह के छह बजे लाइन में लगी थी, लेकिन ब्रह्मकुंड में स्नान लगभग 10 बजे कर पाये. महिलाओं ने प्रशासन के व्यवस्था पर संतोष जताते हुए कहा कि लाखों लोगों को स्नान कुंड में कराया जा रहा है.
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