जिले में शीतलहर व ठंड से प्रभावित हैं करीब 4.33 लाख लोग
Advertisement
बोरसी ताप ठंड से लड़ रहे गरीब व असहाय, अलाव की व्यवस्था नाकाफी
जिले में शीतलहर व ठंड से प्रभावित हैं करीब 4.33 लाख लोग जिले में हैं चार रैन बसेरे, इन रैन बसेरों में शरण ली हैं 45 लोगों ने 714 लोगों के बीच जिला प्रशासन द्वारा बांटे गये हैं कंबल बिहारशरीफ : ठंड व शीतलहर का कहर लगातार पांचवें दिन भी जारी है. ठंड से होने […]
जिले में हैं चार रैन बसेरे, इन रैन बसेरों में शरण ली हैं 45 लोगों ने
714 लोगों के बीच जिला प्रशासन द्वारा बांटे गये हैं कंबल
बिहारशरीफ : ठंड व शीतलहर का कहर लगातार पांचवें दिन भी जारी है. ठंड से होने वाली परेशानियों से लोगों को निजात नहीं मिल पा रहा है. गुरुवार को न्यूनतम तापमान भी आठ डिग्री सेल्सियस रहा, जबकि अधिकतम तापमान 19 डिग्री सेल्सियस रहा.
पछुआ हवा चलने से वातावरण में कनकनी बरकरार है. बुधवार की अपेक्षा को मौसम साफ रहा और धूप भी जल्दी निकला, मगर ठंड व कनकनी में कोई कमी नहीं हुई है. शहर से लेकर गांव तक लोग कांप रहे हैं. गरीब व असहाय लोग बोरसी ताप कर ठंड से लड़ रहे हैं. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में यह स्थिति आसानी से देखी जा रही है. शहरी क्षेत्रों में कई जगहों पर अलाव की व्यवस्था है, मगर ग्रामीण क्षेत्रों में प्रखंड मुख्यालयों में ही एक-दो जगहों पर जैसे-तैसे अलाव जलाये जा रहे हैं.
प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब व असहाय लोगों ठंड के कारण हो रही परेशानी की ओर प्रशासन की नजर नहीं है. जिले में शीतलहर व ठंड के प्रकोप से प्रभावित लोगों की संख्या करीब 4.33 लाख है. जिला आपदा प्रबंधन शाखा से प्राप्त जानकारी जिले में करीब 4,32,249 जनसंख्या ठंड के प्रकोप से प्रभावित हैं. इतनी बड़ी जनसंख्या को ठंड से निजात के लिए जिला प्रशासन का अब तक का प्रयास नाकाफी साबित हो रहा है. ठंड से बचाव के लिये किये जा रहे प्रयास सभी गरीब व असहाय परिवारों तक नहीं पहुंच पा रही है. जिले में जिला प्रशासन द्वारा अब तक 714 गरीब व असहाय लोगों के बीच कंबल बांटे गये हैं. गरीब व असहाय लोगों के लिए यह व्यवस्था भी नाकाफी साबित हो रही है.
जिला प्रशासन के अलाव की व्यवस्था की आस छोड़ गरीब प्रतिदिन अपनी तरीके से अलाव की व्यवस्था करने में जुटे हैं. गरीब व असहाय परिवारों के लोग दिन में किसानों से मांग कर पुआल व नेबारी इकट्ठा करते हैं. इन परिवारों के पुरूष काम की तलाश के दौरान पेड़ की सुखी टहनियों को ढूंढते रहते हैं.
जहां भी किसी पेड़ की टहनी सूखी दिखाई पड़ती है, उस पेड़ पर चढ़कर ऐसी टहनियों को तोड़ लाते हैं. इन गरीब व असहाय लोगों के पास पर्याप्त मात्रा में ठंड से बचाव के लिए गर्म कपड़े नहीं हैं. इसलिए ठंड से बचने के लिए ये लोग दिन में इकट्ठा किये गये पुआल व लकड़ी को शाम होते ही घर के दरवाजे पर जला लेते हैं. इसी आग को करीब व असहाय परिवार रातभर ताप कर गुजारा करता है. जब नींद जोर मारती है तो ये लोग पुआल में गेंदरा ओढ़कर सो जाते हैं. अधिक ठंड के कारण जब इनकी नींद टूट जाती है तो पुआल से निकलकर ये लोग फिर से आग तापने लगते हैं. इसी तरह उनकी ठंड की रात कट जाती है. अगली सुबह उठकर ये गरीब परिवार रोजी-रोटी की जुगाड़ के साथ ही अलाव की व्यवस्था करने में जुट जाता है.
जिले के चार रैनबसेरों में 45 लोग :
जिले में कुल चार रैन बसेरा है. जिला आपदा प्रबंधन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इनमें से तीन रैन बसेरा बिहारशरीफ नगर निगम क्षेत्र में है और एक रैन बसेरा हिलसा में है. इन रैन बसेरों में 45 लोग शरण लिए हुए हैं. इन लोगों को जिला प्रशासन द्वारा बिछावन व ओढ़ने के लिए गर्म कपड़े उपलब्ध कराये गये हैं, मगर इन लोगों की सर्द राते इन कंबलों के सहारे नहीं कट पा रही है. रैन बसेरों में अलाव की व्यवस्था नहीं होने से यहां रहने वाले लोग भी कांप रहे हैं.
रैन बसेरों में रहने वाले लोगों ने अलाव की व्यवस्था करने की मांग जिला प्रशासन से की है. कारगिल बस स्टैंड स्थित रैन बसेरा में रहने वाले विनोद मालाकार, राजेश कुमार, राहुल कुमार आदि ने बताया कि अलाव के बिना सर्द भरी रातें काटे नहीं कट पा रही हैं. हाथ व शरीर को आग से गर्म किये बिना सुकून नहीं मिल पा रहा है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement