नालंदा : जद्दोजेहद के बाद भी अब तक विश्व विख्यात नालंदा को प्रखंड का दर्जा नहीं मिल सका है. वहीं नगर पंचायत के दर्जा पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं. जानकारी के अनुसार हरनौत, गिरियक और नालंदा को नगर पंचायत का दर्जा देने के लिए एक साथ योजना बनायी गयी थी. फाइल भी एक साथ बढ़ाये गये. सरकार ने हरनौत और गिरियक को नगर पंचायत का दर्जा प्रदान कर दिया है. लेकिन नालंदा फिर चूक गया या उपेक्षित रह गया. स्थानीय लोगों को विश्वास था कि प्रखंड नहीं तो नगर पंचायत का दर्जा नालंदा को जरूर मिलेगा. लेकिन इस बार भी नालंदा के लोग हाथ मलते रह गये.
प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को लेकर नालंदा विश्व विख्यात है. नालंदा के नाम पर इस जिले का नाम नालंदा है. इसके अलावे नालंदा विधानसभा और लोकसभा भी है. लेकिन ख्याति के अनुसार इसकी तरक्की नहीं है. यहां देश-दुनिया के सैलानी हजारों की संख्या में प्रतिदिन आते हैं. वे प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के धरोहर को देखकर और इसके इतिहास को जानकर फूले नहीं समाते हैं. लेकिन बुनियादी सुविधाओं का अभाव उन्हें काफी कचोटता है. सैलानियों के लिए यहां पीने के पानी की सुविधा नहीं है. उन्हें सार्वजनिक शौचालय तक नहीं है. बिहार में स्वच्छता और खुले में शौच मुक्त अभियान युद्धस्तर पर चलाया जा रहा है. इसके बावजूद नालंदा आने वाले देशी-विदेशी सैलानी और स्कूल-कॉलेज के छात्र-छात्राएं खुले में मल-मूत्र त्यागने के लिए मजबूर है.