बिहारशरीफ : जिला न्यायालय के पाक्सो स्पेशल प्रथम एडीजे शशिभूषण प्रसाद सिंह के कोर्ट में गत छह दिनों में लगातार आरोपित राजवल्लभ पक्ष से नाबालिग छात्रा दुष्कर्म कांड में अधिवक्ता वीरेन कुमार और कमलेश कुमार ने बहस जारी रखा. जहां अभियोजन पक्ष कई दिनों बहस जारी रख आरोप पत्र के कई बिंदुओं और आरोपित पर लगी धाराओं को सही साबित करने में नाकाम रहा तथा इस बात से ही संतुष्ट नजर आता है कि पीड़िता का यह कहना ही पर्याप्त है कि उसके साथ दुष्कर्म हुआ है. वहीं आरोपित राजवल्लभ पक्ष से वीरेन कुमार तथा कमलेश कुमार अधिवक्ता सबूतों को खंड खंड कर आरोपों के सबूतों को नकार रहे हैं.
प्रथम प्राथमिकी तथा नाम न लेकर एक मोटा काला आदमी बताना तथा रास्ते में पोस्टर के सिर्फ फोटो देखना और फोटो के साथ लिखे नाम को पीड़िता के द्वारा न देखने को हास्य पद या संजोग बताया. जबकि इस पोस्टर का कोई फोटो अनुसंधानकर्ता ने नहीं लिया था. अब तक सात अभियोजन गवाहों के परीक्षण के दौरान दिये गये साक्ष्यों पर बहस समाप्त की जा चुकी है.
इस दौरान बहस में जोरदार रूप से विरोध किया जा रहा है कि कोई भी पुलिस टीम आरोपित या घटनास्थल की पहचान करने पीड़िता के साथ 11 फरवरी 2016 को गयी थी. इसके समर्थन में बहस के दौरान साक्ष्य भी दिये कि आरटीआइ से मंगवायी गयी सूचना के अनुसार इस दिन पुलिस केंद्र से कोई गाड़ी या पुलिस बल देने का रजिस्टर में दर्ज की है.
घटनास्थल के बारे में इन साक्षियों द्वारा बताये गये चौहदी गलत हैं. जबकि कुछ गवाहों ने धुंधलापन के कारण पहाड़ तक को ठीक से नहीं देख पाने की बात कही है. वहीं यह कहा गया है कि 50 मीटर की दूरी से आरोपी की पहचान कर गाड़ी वहीं से घुमा ली गयी. जहां पहाड़ व आवास धुंधली नजर आ रही थी. उसकी सही स्थिति बताना मुश्किल था तो ऐसे में एक आदमी की स्थिति और पहचान कैसे की जा सकती है. साथ में मेडिकल स्थिति और पीड़िता के घटना के बाद की स्थिति पर भी कई ऐसे साक्ष्यों का खंडन किया.