:: गाड़ी के आकार व प्रकार के हिसाब से उसका ड्राइविंग लाइसेंस का तय होता है मानक
वाहन चलाने के लिए जो लाइसेंस जारी होता है वह गाड़ी के व्हील बेस और उसकी क्षमता के अनुसार अलग अलग तय होता है. सबसे अधिक डीएल प्राइवेट बनते हैं, जिसमें एमसीडब्लुजी (मोटरसाइकिल विथ गियर) और एलएमवी (लाइट मोटर व्हीकल) जैसे कि चार से सात सीट वाली कार. वहीं प्राइवेट डीएल में एमसीडब्लूजी (मोटरसाइकिल विदाउट गियर) जैसी स्कूटी जो बिना क्लच वाले दोपहिया वाहन हैं. महिलाएं ज्यादातर स्कूटी का लाइसेंस बनवाती है.
डीटीओ कुमार सत्येंद्र यादव ने बताया कि गाड़ी के आकार के हिसाब से अलग अलग डीएल बनाने का नियम है. वाहन मालिक अपनी आवश्यकता अनुसार डीएल बनवा सकते हैं. विभागीय वेबसाइट पर सारी जानकारी उपलब्ध है.ई-रिक्शा व डीजल ऑटो का अलग होता है लाइसेंस
तीन पहिया ऑटो का अलग लाइसेंस ही जारी होता है. इसमें ई-रिक्शा पैसेंजर और मालवाहक दोनों का अलग डीएल होता है. ठीक इसी प्रकार डीजल ऑटो व सीएनजी ऑटो में भी पैसेंजर और मालवाहक दोनों का अलग अलग डीएल बनता है. एमवीआइ राकेश रंजन ने बताया कि गाड़ी के व्हील बेस के अनुसार उसका डीएल अलग अलग होता है. मध्यम व भारी वाहन चलाने के लिए मोटर ट्रेनिंग स्कूल का सर्टिफिकेट अनिवार्य होता है. इसमें वाहनों का क्लास (वर्ग) अलग-अलग तय है. भारी वाहन में छोटे बड़े बस, ट्रक, रोड रोलर, किरान, हेवी इक्यूपमेंट व्हीकल आदि का अलग अलग डीएल बनता है. वहीं हेजार्ड व्हीकल (केमिकल, पेट्रोल टैंकर आदि) के लिए अलग अलग लाइसेंस बनता है. इन वाहनों को चलाने के लिए पहले से चालक के पास हेवी व्हीकल चलाने का लाइसेंस होना चाहिए, इसके बाद हेजार्ड व्हीकल का प्रशिक्षण लेने के बाद चालक के हेवी लाइसेंस में इसे जोड़ा जाता (इंडोर्स) है, जो प्रत्येक साल रिनुवल होता है.
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