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महाकवि डॉ अवधेश्वर अरुण की जयंती पर समारोह का आयोजनउपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर
बज्जिका रामायण के रचयिता महाकवि अवधेश्वर अरुण की जयंती पर अरुणादित्य ट्रस्ट व तथागत सांस्कृतिक फाउंडेशन ने बज्जिका सेवी सम्मान समारोह आयोजित किया.पड़ाव पोखर के समीप हुए कार्यक्रम का उद्घाटन विधान पार्षद प्रो संजय सिंह ने दीप प्रज्वलित कर किया. कहा कि महाकवि अवधेश्वर अरुण ने लुप्त होती बज्जिका भाषा को आम लोगों तक पहुंचाने का कार्य किया. उनकी कृति बज्जिका रामायण बज्जिकांचल की अमूल्य धरोहर है. आज बज्जिका रामायण अपनी सहजता व सरलता के कारण घर-घर में लोकप्रिय है.भाषा व संस्कृति के गौरव स्तंभ
मुख्य वक्ता डॉ संजय पंकज ने अवधेश्वर को बज्जिकांचल के तुलसी, दधीचि व भागीरथ कहा. उन्होंने कहा कि अवधेश्वर अरुण सही अर्थों में बज्जिका भाषा व संस्कृति के गौरव स्तंभ थे. डॉ विनोद सिन्हा ने कहा कि महाकवि अवधेश्वर में बज्जिका के विकास के लिए एक गहरी छटपटाहट थी. वह सदैव बज्जिका भाषा के विकास के लिए प्रयत्नशील रहते थे.इन्हें किया सम्मानित
आलोचक डॉ रामप्रवेश सिंह ने कहा डॉ अवधेश्वर अरुण साहित्य की सीमा और उपलब्धि के विशिष्ट प्रतिमान रहे हैं. वह परंपरा गढ़ने वाले, साहित्य रचने वाले, समाज को सुधारने वाली पीढ़ी का निर्माण करने वाले उच्च कोटि के सर्जक थे. मौके पर बज्जिका भाषा के विकास में उल्लेखनीय योगदान के लिये साहित्यकार इं. रामनरेश शर्मा, ज्वाला सांध्य पुष्प, शशि भूषण, मणि भूषण, डॉ भावना, डॉ रजनी प्रभा, डॉ हरिविलास राय, गया प्रसाद को महाकवि अवधेश्वर अरुण बज्जिका सेबी सम्मान से सम्मानित किया गया. उन्हें स्मृति चिह्न, चादर व सम्मान पत्र भेंट किया गया.सम्मान मिलना गौरव की बात
साहित्यकार डॉ भावना ने कहा कि यह सम्मान अब तक के सभी सम्मानों में श्रेष्ठ है. अपनी मां के गुरु के नाम से सम्मान मिलना गौरव की बात है. संचालन डॉ रणवीर कुमार राजन ने किया. आभार ज्ञापन आदित्य व धन्यवाद ज्ञापन डॉ यशवंत कुमार ने किया. मौके पर देवशंकर प्रसाद सिंह, डॉ धनंजय सिंह, प्रो शिवशंकर पंडित, रजत सिंह चंदेल मौजूद रहे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

