जिले में शहरी क्षेत्र में 136 और ग्रामीण में 807 सार्वजनिक कुंआ
मुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर
मनरेगा योजनाओं से जल संरक्षण और बाढ़ नियंत्रण की योजनाओं की मंजूरी मिलने के बाद अब अभियान चलाकर सरकारी जमीन पर बने तालाब, आहर, पईन और चेक डैम की उड़ाही होगी. सूखे की स्थिति और पानी की कमी को दूर करने के लिए सभी प्रखंडों में सोख्ता और चेक डैम बनाने का लक्ष्य रखा गया है. ग्रामीण विकास विभाग ने यह निर्णय लिया है. हालांकि, केंद्र सरकार ने मनरेगा योजनाओं में बदलाव करते हुए पहले ही ऐसी योजनाओं का क्रियान्वयन इसके माध्यम से कराने की मंजूरी दे दी थी. इसके बावजूद इन योजनाओं के क्रियान्वयन की रफ्तार काफी धीमी है. ग्रामीण विकास विभाग ने डीएम को पत्र लिखकर इसमें तेजी लाने का निर्देश दिया है. उत्तर बिहार के बाढ़ग्रस्त जिलों में तटबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ जलभराव से ग्रस्त इलाकों से जल निकासी का मार्ग बनाया जाएगा. इसके अलावा चौर की उड़ाही, जीर्णोद्धार और क्राॅस बांध का भी निर्माण कराया जाएगा, ताकि बाढ़ के दौरान होने वाली जानमाल की क्षति को कम किया जा सके.ग्रामीण विकास विभाग ने संबंधित जिले के डीएम को स्थलों को चिह्नित कराने और योजना तैयार कर इसका क्रियान्वयन कराने को कहा है. वर्ष 2013 में ही केंद्र सरकार ने मनरेगा योजना के दिशा-निर्देश में बदलाव कर बाढ़ नियंत्रण की योजनाओं को शामिल किया था.मनरेगा के तहत तालाब, आहर, पईन, चौर, और चेक डैम का निर्माण और जीर्णोद्धार कराया जाता है. मनरेगा के तहत सार्वजनिक तालाबों के जीर्णोद्धार में कई प्रखंडों में 100 प्रतिशत से ज़्यादा उपलब्धि हासिल की जा चुकी है. बारिश में जल जमाव की समस्या से निपटने के लिए मनरेगा के तहत चेक डैम बनाए जाते हैं.मृत बोरवेल और पुराने कुएं को रिचार्ज करने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि भूगर्भ जल स्तर को बचाया जा सके.जिले में शहरी क्षेत्र में 136 और ग्रामीण में 807 सार्वजनिक कुंआ कुआं और 1200 तालाब है.
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