खादी भंडार में चल रहे भागवत कथा में श्रद्धालुओं ने किया रसपान उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर खादी ग्रामोद्योग परिसर में चल रहे भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के आठवें दिन सोमवार को कथावाचक छोटे बापू ने श्रद्धालुओं को श्रीकृष्ण के महारास, कंस वध, द्वारका निर्माण और रुक्मिणी विवाह जैसे प्रसंग सुनाये. उन्होंने कहा कि रसों का जो समूह है, वही रास कहलाता है. जैसे भोजन में षट-रस, काव्य में नव-रस होते हैं, वैसे ही जब सभी रस भगवान में समाहित होते हैं तो महारास का सुख प्राप्त होता है. संसार में मनुष्य भोजन, विषय और व्यवहार में रस ढूंढ़ता है, लेकिन वह क्षणिक होता है. परम आनंद और परम सुख केवल भगवान की भक्ति से ही प्राप्त होता है. गोपियों द्वारा सर्वभावेन समर्पण करने पर श्रीकृष्ण और राधा सहित समस्त गोपियों को महारास के माध्यम से परम आनंद की प्राप्ति हुई. इसमें तन और भोग का लेशमात्र भी नहीं, बल्कि यह शुद्ध ब्रह्मानंद का अनुभव है. उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण 11 वर्ष 56 दिन तक वृंदावन में रहे. कंस ने यज्ञ के बहाने अक्रूर को भेजकर कृष्ण-बलराम को मथुरा बुलवाया. मथुरा वासियों ने उनका भव्य स्वागत किया. भगवान ने माली सुदामा को भक्ति का वरदान दिया और कुब्जा को सौंदर्य प्रदान किया. कुवलयापीड हाथी का वध कर चाणूर-मुष्टिक को पराजित किया और कंस का संहार किया. माता-पिता को कारागार से मुक्त कर उग्रसेन को सिंहासन पर बैठाया और मथुरा के युवराज बने.
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