जिले में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एइएस) की रोकथाम और बचाव के लिए डीएम सुब्रत कुमार सेन ने सभी अधिकारियों को अलर्ट मोड पर रहने और पूरी सतर्कता के साथ कार्य करने का निर्देश दिया है. उन्होंने जोर दिया कि जून माह में अत्यधिक गर्मी के बावजूद अब तक एइएस का एक भी मामला सामने नहीं आया है, जो एक सकारात्मक संकेत है. हालांकि, पिछले वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि जून माह में एइएस के मामले बढ़े थे.
समन्वय और निगरानी पर जोरडीएम ने आइसीडीएस, जीविका और स्वास्थ्य विभाग को आपस में समन्वय स्थापित कर घर-घर जाकर 0 से 15 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों, विशेषकर सर्दी, खांसी या बीमार बच्चों की निगरानी करने का निर्देश दिया. डीपीओ आइसीडीएस को प्रत्येक पोषक क्षेत्र में ऐसे बच्चों की लाइन लिस्टिंग करने और उनकी सतत निगरानी सुनिश्चित करने को कहा गया है. उन्हें सीडीपीओ और सेविका सहायिका के साथ बैठक करने का भी निर्देश दिया गया. सिविल सर्जन को सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों के साथ बैठक कर आवश्यक संसाधनों और टीम वर्क की समीक्षा करने को कहा गया है. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को भी बीसीएम और आशा कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर कार्य में तेजी लाने और जवाबदेही तय करने के निर्देश दिए गए हैं. सिविल सर्जन ने “चमकी की तीन धमकी ” (खिलाओ, जगाओ, अस्पताल ले जाओ) का पालन करने पर जोर दिया.
जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) टीकाकरण की समीक्षा करते हुए प्रखंडवार ड्यू लिस्ट के अनुसार 100% बच्चों का टीकाकरण सुनिश्चित करने पर जोर दिया. समीक्षा में पाया गया कि प्रथम चरण में 93% और द्वितीय चरण में 91% टीकाकरण हुआ है. उन्होंने बोचहां, मोतीपुर, मड़वन और औराई के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को सक्रिय होकर कार्य करने और शत-प्रतिशत उपलब्धि हासिल करने का निर्देश दिया.
बच्चों में एइएस के लक्षणचमकी के साथ तेज बुखार
सरदर्दअर्ध या पूर्ण बेहोशी
शरीर में चमकी होना अथवा हाथ-पैर में थरथराहट होनासिविल सर्जन ने “चमकी की तीन धमकी ” (खिलाओ, जगाओ, अस्पताल ले जाओ) का पालन करने पर जोर दिया:
बचाव के उपाय खिलाओ: बच्चों को रात में सोने से पहले भर पेट भोजन अवश्य कराएं, यदि संभव हो तो कुछ मीठा भी खिलाएंजगाओ: रात के बीच में और सुबह उठते ही देखें कि बच्चा कहीं बेहोश या उसे चमकी तो नहीं.
अस्पताल ले जाओ: बेहोशी या चमकी दिखते ही तुरंत निःशुल्क एंबुलेंस या उपलब्ध वाहन से नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाएं.सामान्य उपचार और सावधानियां
तेज धूप में जाने से बचेंदिन में दो बार नहाएं
रात में बच्चों को पूरा भोजन कराकर सुलाएंलक्षण दिखते ही ओआरएस का घोल या चीनी और नमक का घोल पिलाएं
तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोंछें और पंखे से हवा करेंपारासिटामोल की गोली/सिरप चिकित्सकीय सलाह पर दें
यदि बच्चा बेहोश नहीं है तो साफ और पीने योग्य पानी में ओआरएस का घोल बनाकर पिलाएंडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है