:::शहर के विकास के लिए नक्शे की स्वीकृति प्रक्रिया को करना होगा तेज
::: निर्माण के दौरान एयर पॉल्यूशन फैलाने वाले मकान को भी चिह्नित करेंगे तहसीलदार, रिपोर्ट नहीं देने पर तहसीलदार की भी मानी जायेगी संलिप्तता; होगी कार्रवाई
वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर
शहर में बिना नक्शा पास कराये बन रहे अवैध भवनों पर लगाम कसने के लिए नगर निगम ने सख्त रुख अपनाया है. अब इसकी जिम्मेदारी सीधे तौर पर तहसीलदारों को सौंपी गयी है. नगर आयुक्त विक्रम विरकर ने निर्देश दिये हैं कि तहसीलदार अपने-अपने वार्ड में टैक्स वसूली के दौरान ऐसे भवनों की पहचान करें और उनकी लिखित रिपोर्ट उप नगर आयुक्त को सौंपें. इसके बाद ऐसे भवनों पर कार्रवाई का प्रस्ताव तैयार कर नगर आयुक्त को भेजा जायेगा.उप नगर आयुक्त हर सप्ताह इन रिपोर्टों की समीक्षा करेंगे. तहसीलदारों को न केवल बिना नक्शे वाले भवनों की जानकारी देनी है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि चल रहे निर्माण कार्यों में नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनकैप) और एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के नियमों का पालन हो रहा है या नहीं. यदि कोई तहसीलदार इन निर्देशों का पालन नहीं करता है तो उसकी संलिप्तता मानते हुए उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जायेगी.
नक्शा पास कराने की प्रक्रिया भी हुई सख्त
मुजफ्फरपुर आयोजना क्षेत्र में भवन निर्माण से पूर्व नक्शा पास कराने की प्रक्रिया में भी बदलाव किये गये हैं. अब आवेदक और आर्किटेक्ट इंजीनियर को नक्शा जमा करते समय सभी आवश्यक दस्तावेजों की स्कैन कॉपी देनी होगी. इसके साथ ही, उन्हें एक शपथ पत्र भी देना होगा कि सभी दस्तावेज सही हैं. किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या फर्जीवाड़ा पाये जाने पर इसकी पूरी जिम्मेदारी आवेदक और आर्किटेक्ट की होगी. इस नये नियम से अवैध निर्माण पर अंकुश लगने की उम्मीद है.
जांच में सुस्ती, लंबित नक्शे की बढ़ती जा रही है संख्या
शहरी एवं मुजफ्फरपुर आयोजना क्षेत्र में बनने वाले भवनों की नक्शे की स्वीकृति जांच के अभाव में विलंब हो रहा है. इंजीनियरों की जांच रिपोर्ट देने में देरी के कारण लंबित नक्शे की संख्या बढ़ती जा रही है. इसका खामियाजा उन लोगों को भुगतना पड़ रहा है, जो अपने भवनों का निर्माण शुरू करने के लिए नक्शे की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं. बैंक से लोन लेने में उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लोगों को निर्माण कार्य शुरू करने में परेशानी हो रही है और वे बार-बार नगर निगम के चक्कर लगाने को मजबूर हैं. इस समस्या पर जल्द ध्यान नहीं दिया गया तो लंबित मामलों की संख्या और भी बढ़ सकती है, जिससे शहर में अवैध निर्माण को बढ़ावा मिलने की आशंका भी है.
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