कठिन डगर है घर की
-बुकिंग के समय सीटें कंफर्म, पेमेंट हाेते ही वेटिंग हो जा रही
-सर्वर ने तोड़ा भरोसा, टिकट बुक करते ही 200 तक की वेटिंगवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर
कुछ इस तरह की हो रही दिक्कत
– पेज लोड होने में समय: बुकिंग शुरू होते ही वेबसाइट या एप क्रैश हो जाता है, जिससे पेज लोड होने में बहुत समय लगता है और तब तक सीटें ””””””””फुल”””””””” हो जाती हैं.– अचानक ””””””””अनअवेलेबल”””””””” सीट: बुकिंग प्रक्रिया के दौरान जो सीटें दिखती हैं, वे अचानक ””””””””अनअवेलेबल”””””””” हो जाती हैं.
– पेमेंट कटा और टिकट नहीं: कई बार पेमेंट हो जाने के बाद टिकट कंफर्म नहीं होता. रिफंड भी तुरंत नहीं मिलता.आइआरसीटीसी से उठ रहा भरोसा
हाल में हुए एक सर्वे के मुताबिक, अब केवल 40 फीसदी यात्री ही सीधे आइआरसीटीसी के जरिये टिकट बुकिंग पर भरोसा करते हैं. बाकी 60 फीसदी लोग या तो ट्रैवल एजेंटों का सहारा लेते हैं या फिर रेलवे स्टेशन पर लंबी कतारों में खड़े होकर टिकट लेते हैं. नियमित यात्री सौरभ कुमार ने बताया कि साल में एक बार छठ में गांव के लिए लिए टिकट नहीं मिलने पर लोग किसी तरह पहुंचने के लिए एजेंट का सहारा लेते हैं.यह तकनीकी गड़बड़ी नहीं : विशेषज्ञ
रेलवे के मामलों के जानकार बताते हैं कि यह सिर्फ तकनीकी गड़बड़ी नहीं है, बल्कि बुकिंग प्रक्रिया में खामियां हैं. दिवाली व छठ के समय अचानक लाखों लोग एक साथ लॉगिन करते हैं, जिससे सर्वर पर लोड बहुत बढ़ जाता है. लेकिन सुबह 8 बजे भी ऐसा होना समझ से परे हैं. कई यात्रियों का आरोप है कि बड़ी संख्या में दलाल व एजेंट भी तत्काल टिकट बुकिंग में शामिल होते हैं, जिससे आम लोगों को टिकट नहीं मिल पाता है.क्या है समाधान
यात्रियों का कहना है कि रेलवे को इस समस्या पर ध्यान देना चाहिये. सर्वर की क्षमता बढ़ाने के साथ ही बिचौलियों पर नकेल कसनी चाहिये. जब तक ऐसा नहीं होगा, दिवाली और छठ पर अपने घर जाने का सपना कई बिहारियों के लिए सपना ही रहेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

