वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयाेग की ओर से हाे रही असिस्टेंट प्राेफेसर की बहाली में फर्जीवाड़े की परतें धीरे-धीरे खुल रही हैं. नया मामला बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के एक तृतीय श्रेणी कर्मचारी का है, जिनका चयन पॉलिटिकल साइंस में ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत हुआ है, आरोप है कि वेतन से हर साल इनकम टैक्स कटने के बावजूद उन्होंने ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट बनवा लिया. इसके अलावा, उनके आवेदन में विश्वविद्यालय से संबद्ध एक इवनिंग कॉलेज का अनुभव प्रमाण पत्र भी लगाया गया है. इसी कॉलेज ने कुल 11 अभ्यर्थियों को अनुभव प्रमाण पत्र जारी किए हैं, जिनमें से अधिकांश का चयन हो गया है. आयोग की ओर से जांच का पत्र मिलने के बाद फरवरी में ही विश्वविद्यालय में एक कमेटी गठित की गयी थी, लेकिन अब तक जांच शुरू नहीं हुई है. फिजिक्स के अभ्यर्थी राकेश कुमार ने कुलपति, कुलाधिपति और आयोग को पत्र भेजकर संदिग्ध प्रमाण पत्रों वाले चयनित अभ्यर्थियों की जांच की मांग की है. उन्होंने अपने पत्र में पॉलिटिकल साइंस के 3, अंग्रेजी के 3 और गृह विज्ञान के 1 अभ्यर्थी के प्रमाण पत्रों को संदिग्ध बताया है.
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