Job Card: बिहार के सभी जिलों में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत वेटिंग लिस्ट से छूटे हुए योग्य लाभुकों का सर्वेक्षण किया जा रहा है. इस बार सरकार ने पीएम आवास योजना का लाभ लेने की प्रक्रिया में बदलाव किया है. सरकार ने यह आदेश जारी किया है कि पीएम आवास के लाभुकों के पास जॉब कार्ड होना अनिवार्य है. सरकार के इस फरमान के बाद जॉब कार्ड के लिए ब्लॉक ऑफिस में अचानक भीड़ बढ़ गई है. हैरानी वाली बात यह कि संभावित लाभार्थियों से जॉब कार्ड बनाने के नाम पर कथित तौर पर अवैध वसूली की जा रही है. इसको लेकर सोमवार को मुजफ्फरपुर के महमदपुर बलमी में प्रखंड कार्यालय का घेराव किया.
जॉब कार्ड क्या है
जॉब कार्ड एक आधिकारिक दस्तावेज़ है जो मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के तहत एक परिवार को जारी किया जाता है. यह कार्ड उस परिवार को सरकारी योजनाओं के तहत 100 दिनों तक का गारंटीकृत रोजगार प्रदान करने का अधिकार देता है. यह एक प्रकार का पहचान पत्र है, जिसमें नरेगा पंजीकरण संख्या, आवेदकों का विवरण आदि जानकारी शामिल होती है.
लोगों ने लगाए अवैध वसूली के आरोप
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में पीएम आवास योजना की लिस्ट में नाम जोड़ने, जॉब कार्ड बनाने में अवैध वसूली करने के खिलाफ सोमवार को महमदपुर बलमी पंचायत के सैकड़ों लोगों ने प्रखंड कार्यालय से बिजली कार्यालय तक बवाल काटा. इससे दोनों कार्यालयों में अफरातफरी का माहौल रहा. महिलाओं के हाथों में लाठी-डंडे और तख्तियां भी थीं. आक्रोशित लोग आवास सहायक, रोजगार सेवक और बिजली विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे.
आवास योजना में नाम जोड़ने के लिए मांग रहे पैसे
हंगामा कर रहे लोगों का आरोप था कि काफी दिनों के बाद प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए लाभुकों की सूची बनाने का काम चल रहा है. सूची में नाम जोड़ने के लिए जॉब कार्ड अनिवार्य है. महिलाओं का आरोप था कि जॉब कार्ड के लिए रोजगार सेवक पंचायत में आते नहीं हैं. जब प्रखंड में जाते हैं तो वापस कर दिया जाता है. जॉब कार्ड बनाने के लिए अवैध रूप से राशि मांगने का आरोप लगाया. लोगों ने आगे कहा कि आवास योजना में नाम जोड़ने के लिए दो से चार हजार रुपये तक मांगे जा रहे हैं. शिकायत के बावजूद बीडीओ उक्त कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहे.