नगर निगम का ””डॉग स्कवॉड”” अभियान
::: आवारा कुत्तों की गिनती के बाद जनसंख्या नियंत्रण के लिए निगम एजेंसी बहाल कर करायेगा नसबंदी, चार साल से चल रही है कवायद; अब तक सफलता नहीं
::: बड़ी संख्या में आवारा कुत्ता हो गया है मुजफ्फरपुर शहर में, रात्रि में राहगीरों पर झुंड बनाकर टूट पड़ता है कुत्ता
वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर
शहर में आवारा कुत्तों के आतंक से आम जनता परेशान हैं. शहर के हर गली-मोहल्ले में कुत्तों की बढ़ती संख्या से लोग खौफ में हैं. बीते चार सालों से नगर निगम इस समस्या पर लगाम लगाने का प्रयास कर रहा है, लेकिन अब तक कोई ठोस सफलता नहीं मिली है. इसी कड़ी में एक बार फिर नगर निगम ने आवारा कुत्तों की गणना का आदेश जारी किया है. इस कार्य के लिए नगर आयुक्त विक्रम विरकर ने सभी वार्ड निरीक्षकों, अंचल निरीक्षकों और सफाई प्रभारियों को संयुक्त रूप से सर्वेक्षण कर कुत्तों की संख्या का सटीक आकलन करने का निर्देश दिया है. यह आदेश नगर निगम की ””एनीमल बर्थ कंट्रोल”” (एबीसी) योजना का हिस्सा है, जिसके तहत टेंडर आमंत्रित करने से पहले यह कार्रवाई जरूरी है. नगर निगम के इस आदेश से एक बार फिर उम्मीद जगी है कि शायद इस बार शहर को आवारा कुत्तों के आतंक से मुक्ति मिल सके. हालांकि, निगम के पुराने रिकॉर्ड को देखें तो यह काम हमेशा से एक चुनौती रहा है. पिछले कुछ वर्षों में भी इस तरह के आदेश जारी हुए, लेकिन सर्वेक्षण के आंकड़े कभी संतोषजनक नहीं रहे और योजनाएं ठंडे बस्ते में चली गई. इस बार नगर आयुक्त ने निर्देश को कड़ाई से पालन करने के लिए कहा है. सर्वेक्षण के बाद, संबंधित वार्ड पार्षद या जनप्रतिनिधि से अनुशंसा प्राप्त कर एक संक्षिप्त रिपोर्ट निगम कार्यालय को सौंपनी होगी. पार्षद काे अगर लगेगा कि उनके वार्ड में कुत्ते की जो गिनती की गयी है. वह सही आंकड़ा नहीं है. तब पार्षद भी कर्मियों के साथ घुमकर कुत्ते की सही गिनती करा सकते हैं. नगर आयुक्त ने यह भी साफ किया है कि इस सर्वेक्षण को एक सप्ताह के तर पूरा कर रिपोर्ट जमा करनी होगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

