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बिहार की शाही लीची के दीवाने हुए खाड़ी देशों के लोग, इस बार अधिक डिमांड

विदेशों खास कर खाड़ी देशों में बिहार के मुजफ्फरपुर की शाही लीची बहुत पसंद की जाती है. इस वर्ष 22 मई से लीची का निर्यात शुरू होगा.

यूएई और सऊदी जैसे खाड़ी देश के लोग मुजफ्फरपुर की शाही लीची के दीवाने हो गये हैं. इस बार यहां से संयुक्त अरब अमीरात में लीची की दोगुनी डिमांड है. इसके लिये 15 मार्च को दुनिया के सबसे बड़े मॉल लुलु के प्रतिनिधि दीपक मिश्रा मुजफ्फरपुर पहुंच रहे हैं. वे यहां लीची उत्पादकों के लीची का करार करेंगे. लुलु मॉल की इस पहल से यहां के उत्पादक भी उत्साहित हैं.

पिछले वर्ष पहली बार यहां की शाही लीची खाड़ी देशों में भेजी गयी थी. ट्रायल के तौर पर पहले एक हजार किलो लीची शारजाह भेजी गयी थी. इसके बाद हर दिन यहां से लीची की आपूर्ति होती रही. यहां से लीची बनारस भेजा जाता था. वहां से खाड़ी देशों में आपूर्ति की जा रही थी.

पिछली बार लीची की सप्लाई करने वाले लीची उत्पादक बबलू कुमार शाही ने बताया कि लुलु मॉल के प्रतिनिधि ने मेरे अलावा भोला त्रिपाठी से भेंट की थी. हम लोगों के साथ उनका करार हुआ था. इसके बाद यहां से 8.5 टीनी लीची संयुक्त अरब अमीरात के देशों में भेजी गयी. इस बार लुलु के प्रतिनिधि ने अधिक लीची की डिमांड की है. इसके लिये वे मार्च के दूसरे सप्ताह में मुजफ्फरपुर पहुंचेंगे.

22 मई से विदेशों में होगी लीची की आपूर्ति

लीची की आपूर्ति 22 मई से विदेशों में की जायेगी. लीची उत्पादक संघ इसकी तैयारी कर रहे हैं. इस बार यहां का आम भी लुलु मॉल जायेगा. पिछले वर्ष यूपी के आम के साथ यहां का आम भी भेजा गया था, जिसे ग्राहकों ने काफी पसंद किया. इस बार आम उत्पादक भी विदेशों में आम भेजने की तैयारी में है. लुलु मॉल के प्रतिनिधि शहर पहुंचने के बाद आम उत्पादकों से भी संपर्क करेंगे. कंपनी पहले ट्रायल के तौर पर कुछ आम खरीदेगी. मांग बढ़ने पर इसकी डिमांड होगी.

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लीची का बागान

जिन पेड़ों पर आयी नयी पत्तियां, उनमें भी लगे लीची के मंजर

नवंबर-दिसंबर माह में ठंड नहीं पड़ने के कारण लीची के पेड़ों पर आये नये पत्ते से किसान मायूस हो गये थे, उन्हें शाही लीची की पैदावार काफी कम होने की आशंका सता रही थी, लेकिन उन पेड़ों पर भी मंजर आने लगे हैं, इससे किसानों में खुशी है. किसानों को उम्मीद है कि इस बार शाही लीची की पैदावार में अब पिछले साल की अपेक्षा थोड़ा-बहुत का ही अंतर आयेगा. इस बार लीची के पेड़ों पर लगने वाले स्टिंग बग का खतरा भी पहले की अपेक्षा काफी कम हो गया है. किसानों का कहना है कि लीची की फसल इस बार अच्छी होगी. होली बाद से बगीचे की खरीदारी होने लगेगी.

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विदेशों में शाही लीची काफी पसंद की गयी है. इस कारण इस बार भी लुलु मॉल के प्रतिनिधि करार करने आयेंगे. इस बार लीची की अधिक सप्लाई होने की उम्मीद है. जिले में करीब 12 हजार हेक्टेयर में लीची की फसल होती है. करीब एक लाख टन लीची का उत्पादन होता है. विदेशों में सप्लाई होने से लीची उत्पादकों को एक बड़ा बाजार मिला है

बच्चा प्रसाद सिंह, अध्यक्ष, बिहार लीची उत्पादक संघ

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