किसान विदेशी पूंजीपतियों के शिकंजों में: किसान संगठन
वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर
खेती-किसानी पर देशी-विदेशी पूंजीपतियों के बढ़ते शिकंजे विषयक दो दिवसीय परिचर्चा का आयोजन 26 और 27 मार्च को मोतीझील स्थित ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के सभागार में किया गया. इस कार्यक्रम में आयोजक संगठन एआइकेकेएमएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्यवान ने कहा कि खेती-किसानी पूरी तरह से लुटेरा पूंजीपतियों के शिकंजे में आ चुकी है.
सत्यवान ने बताया कि आज किसानों को कृषि पैदावार के लिए खाद, बीज, कीटनाशक, कृषि यंत्र, डीजल, और पेट्रोल मनमाने दामों पर खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है. वहीं दूसरी ओर, किसानों द्वारा उत्पादित फसलों को पूंजीपति या उनके एजेंट औने-पौने दामों पर खरीद लेते हैं. उन्होंने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि कृषि उत्पाद बाजार समिति का अस्तित्व खत्म कर दिया गया है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति और भी खराब हुई है.
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सत्यवान ने केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों पर चर्चा करते हुए कहा कि इनसे खेती-किसानी पूरी तरह कॉरपोरेटर के हाथों में चली जाएगी, जिससे किसान परिवार भुखमरी और बेरोजगारी से जूझने के लिए मजबूर हो जाएंगे. उन्होंने उपस्थित जनसमूह से आह्वान किया कि किसानों को एकजुट होकर आंदोलन का संगठन खड़ा करना होगा ताकि संभावित तबाही से बचा जा सके.
इस परिचर्चा में राष्ट्रीय महासचिव शंकर घोष ने भी अपनी बात रखी, उन्होंने कहा कि आज की सरकारें किसानों की समस्याओं का समाधान करने में असफल रही हैं. उनके अनुसार, किसानों के सामने सिर्फ एक ही विकल्प है कि वे खुद अपने बल पर एक जोरदार आंदोलन करें और पूंजीपतियों के नाकाम प्रयासों को ध्वस्त करें.
इसके अलावा, एसयूसीआइ (कम्युनिस्ट) के राज्य सचिव अरुण कुमार सिंह, राज्य अध्यक्ष लाल बाबू महतो, और राज्य सचिव कृष्णदेव साह ने भी अपने विचार व्यक्त किए और कृषि क्षेत्र पर बढ़ते पूंजीपतियों के शिकंजे पर चिंता जाहिर की.
परिचर्चा में शहर के गणमान्य बुद्धिजीवियों के साथ-साथ जिले के विभिन्न प्रखंडों और पंचायतों से बड़ी संख्या में किसान और खेत मजदूर उपस्थित रहे.
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