-सरकारी अस्पतालों में हुई हड़ताल का दिखा असर-सुबह 10 बजे से डॉक्टरों ने ओपीडी दिया बंद करा
मुजफ्फरपुर.
सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की हड़ताल का असर व्यापक दिखा. पहले से तय ऑपरेशन जहां नहीं हुए, वहीं 20 हजार से ज्यादा मरीजों को बगैर इलाज कराये ही लौटना पड़ा. शिवहर, गोपालगंज व मधुबनी जिलों के डीएम ने बायोमेट्रिक उपस्थिति के आधार पर डॉक्टरों का वेतन रोक दिया है. इसी के विरोध में बिहार चिकित्सा सेवा संघ के आह्वान पर सरकारी डॉक्टरों ने ओपीडी सेवा का बहिष्कार किया. इस बीच इमरजेंसी सेवा चालू रही. हालांकि मेडिसिन, ऑर्थो, इएनटी ओपीडी में भी मरीजों का इलाज किया. लेकिन सुबह दस बजे के करीब हड़ताल कर रहे अन्य डॉक्टरों ने ओपीडी बंद करा दी. हड़ताल को लेकर इलाज के लिए आये करीब 20 हजार से अधिक मरीजाें काे लाैटना पड़ा. बिहार चिकित्सा सेवा संघ के सचिव डाॅ ज्योति ने बताया कि हड़ताल पूरी तरह सफल रही है. बताया जाता है कि हड़ताल के कारण विभिन्न सरकारी अस्पतालाें में पहुंचीं 300 प्रसूताएं लाैट गयीं. वहीं 10 सिजेरियन और 30 अन्य ऑपरेशन नहीं हुए. ये सभी मरीज अब साेमवार काे अपना ऑपरेशन करा पायेंगे. हालांकि सदर अस्पताल में सुबह 9 बजे के बाद कुछ गंभीर मरीजाें का इलाज किया गया. दूर-दराज से आये मरीज दिनभर भटकते रहे.पीएचसी में भी इलाज नहीं
कोई गाेद में बच्चा लेकर भटक रहा था ताे कुछ इलाज कहाॅं हाेगा, इसकी जानकारी ले रहे थे. जब कहीं भी इलाज की गुंजाइश नहीं हुई ताे लाैट गये. हड़ताल का असर यह रहा कि माेतीपुर से एंबुलेंस से एक नवजात सदर अस्पताल के एमसीएच पहुंचाया गया. सुबह 9.30 बजे काेई डाॅक्टर नहीं थे, इसकी वजह से उसे लाैटना पड़ा. इसी प्रकार करीब 1000 से अधिक महिला-पुरुष ओपीडी में इलाज कराये बगैर लाैट गये.उधर, पीएचसी में भी हड़ताल का काफी असर रहा. यहां भी ओपीडी में इलाज नहीं हुआ. सदर अस्पताल, एसकेएमसीएच में हड़ताल के कारण प्रसव व ऑपरेशन कराने आये मरीजों काे भी वापस लाैटना पड़ा. बताया जाता है कि सदर अस्पताल में 10 ऑपरेशन नहीं हुए. प्रसूताओं काे भी लाैटना पड़ा.
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