उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर मंगलवार को चौठचंद्र पर्व मनाया गया. व्रतियों ने निर्जला व्रत रखा और चौठचंद्र की पूजा की. मान्यता है कि चौठचंद्र व्रत करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. पुत्रों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है. स्कंद पुराण में चौठचंद्र पर्व की महत्ता का विस्तार से वर्णन मिलता है. व्रत करने वाले लोगों ने संध्याकाल में पूजा-अर्चना व चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत की समाप्ति की. पूजा को लेकर सुबह से ही घरों में तैयारी की गयी थी. पूजा का पकवान बनाने के लिये व्रतियों के अलावा घर की महिलाएं भी जुटी थीं. तीज और चौठचंद्र व्रत एक दिन होने के कारण कई घरों में महिलाओं ने तीज के साथ चौठचंद्र व्रत भी किया, लेकिन पूजा के बाद अन्न-जल ग्रहण नहीं किया. व्रतियों ने खीर, दही, मकई का बाल और फलों से पूजा अर्चना की. पूजन के बाद व्रतियों ने प्रसाद ग्रहण किया. इसके बाद घर के अन्य लोंगों ने प्रसाद खाया. फोटो -दीपक –
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