वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल स्थित खुले आई ओटी में मोतियाबिंद के मरीज पहुंच ही नहीं रहे हैं. हालत यह है कि पूरे साल में सिर्फ 86 ऑपरेशन हुए हैं, जबकि ओटी में सभी जरूरी सुविधाएं मौजूद हैं. इस माह तो महज दो ही ऑपरेशन हो पाए हैं. अस्पताल के अधिकारियों के अनुसार, मुख्य वजह लेंस की बार–बार होने वाली कमी है. कई बार लेंस खत्म हो जाते हैं और देर से उपलब्ध होते हैं, जिससे मरीज परेशान होते हैं और प्राइवेट अस्पतालों का रुख कर लेते हैं. अधीक्षक डॉ. बाबू साहब झा का कहना है कि वर्तमान में लेंस उपलब्ध हैं और जो मरीज आ रहे हैं उनका ऑपरेशन किया जा रहा है. डॉक्टरों को भी सर्जरी बढ़ाने के लिए कहा गया है. आई ओटी में स्टाफ की कमी भी बड़ी समस्या है. आंख विभाग में दो डॉक्टर हैं, लेकिन सर्जन सिर्फ एक हैं. पहले दो सर्जन थे, पर एक का तबादला दरभंगा मेडिकल कॉलेज होने से काम का दबाव बढ़ गया है. अब अस्पताल में सप्ताह में सिर्फ एक दिन मोतियाबिंद ऑपरेशन किए जा रहे हैं. उधर, कई बुजुर्ग मरीजों का कहना है कि ऑपरेशन के बाद नजदीक देखने में परेशानी बनी रहती है. लगभग 80 प्रतिशत बुजुर्ग चश्मा न मिलने की शिकायत कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग ने चश्मा बांटने की जिम्मेदारी निजी एजेंसी को दी है, लेकिन एजेंसी के समय पर चश्मा नहीं देने से मरीजों की दिक्कत बढ़ी हुई है.
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