Bihar Bhumi: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में जमीन की खरीद-बिक्री मामले में लगातार राजस्व चोरी का आरोप सामने आता रहा है. इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से जमीन की खरीद-बिक्री नियम में कुछ बदलाव किए गए हैं. इस कड़ी में नगर निकाय के साथ अब आयोजना क्षेत्र की सभी जमीन की खरीद-बिक्री में स्थल जांच अनिवार्य होगा. इस बारे में तिरहुत प्रमंडल के सहायक निबंधन महानिरीक्षक (एआइजी) राकेश कुमार ने सभी जिला अवर निबंधकों को निर्देश जारी किया है.
राजस्व की चोरी रोकने की कवायद
मिली जानकारी के अनुसार आयोजना क्षेत्र के सभी मौजों की सूची भी उपलब्ध कराने को कहा गया है. जमीन की खरीद-बिक्री में राजस्व की चोरी रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है. ज्ञात हो कि एआइजी ने हाल के दिनों में जमीन के निबंधन मामलों में राजस्व चोरी के कई मामले पकड़े थे. उस दौरान यह बात सामने आई थी कि जमीन की स्थल जांच नहीं होने से गलत श्रेणी की जमीन निबंधित कर दी गई है. इसे ध्यान में रखते हुए ही ऐसा किया जा रहा है. जानकारी के अनुसार एआइजी के आदेश के बाद अब नगर निगम क्षेत्र के पास के 216 गांवों की जमीन की रजिस्ट्री से पहले उसकी स्थल जांच की जाएगी. जांच के बाद ही श्रेणी का फैसला लिया जाएगा.
आवासीय को विकासशील के मामले
बता दें कि निगम क्षेत्र से सटे होने की वजह से आयोजना क्षेत्र में आवासीय श्रेणी की जमीन बहुत अधिक है. वहीं दूसरी तरफ इसका निबंधन आवासीय की जगह विकासशील या दो फसला में हो रही है. स्थल जांच नहीं होने के कारण सरकार को कम राजस्व मिल रहा है. जबकि जमीन की बिक्री अधिक कीमत में हो रही है. इनमें से कुछ ही जमीन के दस्तावेजों की जांच हो पाती है, जिस कारण सारी चोरी पकड़ में नहीं आती है.
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छह प्रखंड के गांव आयोजना क्षेत्र में शामिल
आयोजना क्षेत्र में मुशहरी, कांटी, कुढ़नी, मड़वन, बोचहां और मीनापुर प्रखंडों के गांव शामिल हैं. यहां नगर निगम की तरह ही भवन निर्माण के नक्शे भी ऑनलाइन स्वीकृत होने लगे हैं. अब निबंधन से पहले स्थलीय जांच भी जरूरी होगी.
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