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साही जानवर को क्षति पहुंचाने पर 7 साल की जेल, वन विभाग ने मुजफ्फरपुर में लगाया होर्डिंग

तिरहुत वन प्रमंडल मुजफ्फरपुर की ओर से लोगों के लिए होर्डिंग लगाकर आवश्यक सूचना जारी की गयी है. जिसमें कहा गया है कि साही जानवर को क्षति पहुंचाने पर 7 साल की जेल होगी.

ललितांशु, मुजफ्फरपुर

साही एक दुर्लभ जानवर है. इसको लेकर तिरहुत वन प्रमंडल मुजफ्फरपुर की ओर से आम लोगों के लिये एक आवश्यक सूचना जारी की गयी है. जिसमें बताया गया है कि इस तरह के जानवर को किसी भी प्रकार की क्षति पहुंचाना कानूनन अपराध है. जिसका उल्लंघन करने पर संबंधित व्यक्ति को 7 वर्ष तक के लिये जेल हो सकती है.

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से प्राणी संरक्षण अधिनियम के बारे में भी सूचना सार्वजनिक की गयी है. ताकि इस जानवर के प्रति लोग जागरूक हो सके. तिरहुत वन प्रमंडल की ओर से इस बारे में शहरी क्षेत्र के आरडीएस चौक पर लोहे का होर्डिंग लगाया गया है. जिसमें इस दुर्लभ जानवर की तस्वीर भी जारी की गयी है. इसके शरीर के ढांचा और इसके नेचर के बारे में स्पष्ट किया गया है.

साही के बारे में दी गयी सूचना

  • साही के शरीर पर तीर के समान कांटेदार रचना होती है
  • यह अपनी सुरक्षा के लिये अपने शरीर में उगे हुये इन कांटेदार तीरों को शत्रु के तरफ फेंकता है
  • अधिकतर साही आकार में लगभग 60 से 90 सेंटीमीटर तक होता है
  • इनका वजन 5 से 16 किलोग्राम तक होता है
  • साही जानवर शाकाहारी होते हैं
  • इनका रंग अलग-अलग होता है.

मुंह फेरकर कांटों से दुश्मन पर वार 

साही सिर्फ अपने कांटो की वजह से ही खतरनाक होती है. खतरा महसूस होने पर यह अपने कांटों को फैलाकर दुश्मन पर मुंह फेरकर वार करती है. जिससे इसके कांटे दुश्मन के शरीर में धंस जाते हैं. हकीकत यह है कि कांटे तब तक किसी को नहीं लगते हैं जब तक कोई इनसे टच नहीं होता है. साही की शारीरिक संरचना के मुताबिक इसके कांटों पर हल्का सा भी दबाव पड़ने पर ये शरीर से अलग हो जाते हैं, और दूसरे जानवर के शरीर में धंस जाते हैं.

खास कर इन इलाकों में पाया जाता है, जानवर

भारतीय साही एक ”पुरानी दुनिया” का साही है, और दुनिया के सबसे बड़े साहियों में से एक है. इसके कांटे 16 इंच तक लंबे होते हैं. ”नई दुनिया” के साहियों के विपरीत, यह साही जमीन पर रहने वाला और बिल खोदने वाला जानवर हैं. आश्चर्यजनक रूप से मजबूत अगले पैर से बड़े-बड़े बिल खोदने में सक्षम होते है. यह कांटेदार जीव जंगल के किनारों और चट्टानी चट्टानों में पाया जाता है, खास कर असम, मेघालय, सिक्किम और पश्चिम बंगाल के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में पाया जाता है.

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Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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