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हिंदी के बड़े क्षेत्र से जुड़ रही निराला निकेतन की बेला

मुजफ्फरपुर: निराला निकेतन पत्रिका बेला अपनी सुगंध के साथ दूर-दूर तक प्रसारित हो रही है. इसको विस्तार देने का काम कठिन है, लेकिन ऊर्जावान व प्रतिभा संपन्न संपादक डॉ संजय पंकज इसे पूरा कर रहे हैं. शास्त्री जी को याद करने व अनुभव करने में बेला की महत्ती भूमिका है. सही अर्थ में आचार्य श्री […]

मुजफ्फरपुर: निराला निकेतन पत्रिका बेला अपनी सुगंध के साथ दूर-दूर तक प्रसारित हो रही है. इसको विस्तार देने का काम कठिन है, लेकिन ऊर्जावान व प्रतिभा संपन्न संपादक डॉ संजय पंकज इसे पूरा कर रहे हैं. शास्त्री जी को याद करने व अनुभव करने में बेला की महत्ती भूमिका है. सही अर्थ में आचार्य श्री की आस्था को लेकर बेला बड़ा साहित्यिक कार्य संपादित कर रही है.
यह बातें निराला निकेतन में बुधवार को बेला के विशेष अंक का लोकार्पण करने के बाद डॉ शिवदास पांडेय ने कही. उन्होंने कहा कि संपादक को आलोचना ङोलनी पड़ती है तभी उसको यश भी मिलता है. संजय पंकज शास्त्री जी की स्मृतियों को सहेजे, उनकी रचनाशीलता का मूल्यांकन करते हुए बड़े हिंदी क्षेत्र को बेला के माध्यम से जोड़ रहे हैं, यह सराहनीय है. मुख्य अतिथि डॉ इंदु सिन्हा ने कहा कि आज शास्त्री जी होते तो बेला के इस अंक व कलेवर को देख कर बहुत प्रसन्न होते. उनकी भावधारा को सुरक्षित रखते हुए साहित्य के शाश्वत मूल्यों को बेला अपने पृष्ठों पर सजा कर हिंदी संसार में प्रस्तुत होती है. यह काम संजय पंकज संकटों को ङोलते हुए निष्ठा के साथ कर रहे हैं. इसमें सहयोग की जरूरत है.
विरासत को बचायें
विशिष्ट अतिथि डॉ पूनम सिंह ने कहा कि निराला निकेतन एक तीर्थ है. इसमें बेला की खुशबू हमेशा फैलती रही है. साहित्यकारों को हृदय से इस पत्रिका से जुड़ने की आवश्यकता है. डॉ शारदाचरण ने कहा कि बेला आचार्य श्री की धरोहर है. इस विरासत को बचाने की दिशा में सबको मिल जुल कर काम करना चाहिए. एचएल गुप्ता ने कहा कि जैसे महावीर प्रसाद द्विवेदी के कारण सरस्वती आज भी चर्चा में है, उसी तरह जानकीवल्लभ शास्त्री के कारण बेला की अपनी गरिमा है.
डॉ विजय शंकर मिश्र ने बेला की पहचान बनाये रखने में सबको आगे बढ़ कर सहयोग करने की अपील की. संपादक डॉ संजय पंकज ने कहा कि आचार्य श्री ने बेला के माध्यम से कई पीढ़ियों को संवारा व संस्कारित किया है. मैं इस पत्रिका को आचार्य श्री की चेतना व आत्मा के रूप में देखता हूं. इस मौके पर युवा गायक सुधीर ठाकुर ने शास्त्री जी के गीत रंक को आज दान देने दो का गायन प्रस्तुत किया. समारोह में डॉ पुष्पा गुप्ता, जयमंगल मिश्र, राजमंगल पाठक, डॉ यशवंत, ललन कुमार, रमेश मिश्र प्रेमी, प्रेम कुमार, डॉ विजय वर्मा, डॉ रत्नेश कुमार, सौरभ रंजन, अशोक कुमार ठाकुर ने भी विचार व्यक्त किये.

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