मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में शोध पूरा कर चुके शोधकर्ताओं के लिए मंगलवार का दिन खुशियां लेकर आया. विवि पीजीआरसी की बैठक में इन्हें यूजीसी रेगुलेशन 2009 के तहत पीएचडी की डिग्री अवार्ड करने का फैसला लिया गया. इससे इनके बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की ओर से लेक्चरर बहाली के लिए निकाले गये विज्ञापन में आवेदन का अधिकार प्राप्त हो जायेगा.
बैठक के बाद कुलानुशासक डॉ अजय कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि 10 जुलाई 2009 से पूर्व पीएचडी के लिए पंजीकृत व शोध पूरा कर चुके शोधकर्ताओं को विवि की ओर से नेट/स्लेट की परीक्षा से छूट (एक्जम्पटेड) का प्रमाण पत्र दिया जायेगा. यह छूट 27 सितंबर 2010 को हुई यूजीसी की 472 वीं बैठक के एजेंडा नंबर 2.08 के आधार पर दी गयी है. वहीं 11 जुलाई 2009 के बाद पंजीकृत व शोध पूरा कर चुके शोधकर्ताओं को यूजीसी रेगुलेशन 2009 का मानक पूरा करने का प्रमाण पत्र दिया जायेगा.
इसके लिए यूजीसी की ओर से निर्धारित ग्यारह मानकों में से न्यूनतम छह पूरा करने को आधार बनाया गया है. प्रमाण पत्र का वितरण 15 नवंबर को विवि में विशेष शिविर लगाकर किया जायेगा. प्रमाण पत्र के लिए सभी पीएचडी होल्डर को पीजी व पीएचडी का प्रमाण पत्र लाना होगा. परीक्षा विभाग उनके आवेदनों की जांच करेगी. जांच के बाद कुलसचिव प्रमाण पत्र जारी करेंगे. आवेदन की आखिरी तारीख 20 नवंबर निर्धारित है.
छह मानकों का नहीं होगा जिक्र
यूजीसी रेगुलेशन 2009 में आने के लिए जो ग्यारह मानक तय किये गये हैं, उसमें से छह पीजी विभाग व पांच विवि को सत्यापित करना है. हालांकि विवि की ओर से शोधकर्ताओं को जो प्रमाण पत्र दिया जायेगा, उसमें वे किन छह मानकों को पूरा करते हैं, का जिक्र नहीं होगा. कुलानुशासक से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने इससे कन्नी काट ली. उन्होंने बताया कि बैठक में करीब तीन सौ सिनॉप्सिस को हरी झंडी दी गयी.