मुजफ्फरपुर: जोनल आइजी पारस नाथ ने गुरुवार को जिले के सभी एएसपी, डीएसपी, इंस्पेक्टर व थानाध्यक्ष के साथ विधि व्यवस्था व अपराध नियंत्रण पर एसएसपी कार्यालय में बैठक की. बैठक के दौरान उन्होंने सभी थानाध्यक्ष को थाने में नक्सल रजिस्टर रखने का निर्देश दिया है. उनका कहना था कि अगर पूरा बिहार में नक्सल प्रभावित क्षेत्र को देखा जाये तो मुजफ्फरपुर पांच प्रतिशत नक्सल प्रभावित जिला है. नक्सल रजिस्टर में हर छोटी-बड़ी सूचना दर्ज कर उसका सत्यापन करे.
खुफिया विभाग से भी जो सूचना मिलती है, उसका भी ब्योरा रजिस्टर में दर्ज होना चाहिए. प्रत्येक थाना क्षेत्र के सक्रिय माओवादियों व उनके संरक्षण दाता के नाम भी दर्ज करे, इससे प्रत्येक थाना में एक सूची तैयार हो जायेगी. उन्होंने नक्सल प्रभावित क्षेत्र में किस प्रकार पुलिस का मूवमेंट होना चाहिए, इस पर भी सभी थानाध्यक्ष को विस्तार से बताया. बैठक के दौरान लंबित कांड के निष्पादन पर भी चर्चा की गयी. उन्होंने एक थाने से दूसरे थाने में जाने वाले सभी पदाधिकारियों को तीन दिन के अंदर केस का प्रभार सौंप देने का आदेश दिया है. इस मामले में कोताही बरतने पर संबंधित पुलिस अधिकारी का वेतन बंद कर उन पर विभागीय कार्रवाई की चेतावनी भी दी गयी है.
बैठक के दौरान डीआइजी अजय कुमार मिश्र, एसएसपी जितेंद्र राणा,एएसपी मुख्यालय राजीव रंजन, एएसपी अभियान राणा ब्रजेश, डीएसपी पश्चिमी अजय कुमार, डीएसपी पूर्वी मो मुतफिक अहमद, डीएसपी सरैया संजय कुमार व नगर डीएसपी अनिल कुमार सिंह सहित सभी इंस्पेक्टर व थानाध्यक्ष उपस्थित थे.
सड़क जाम होने पर करें प्राथमिकी
जोनल आइजी ने सभी थानाध्यक्ष को कहा कि अक्सर सड़क जाम की समस्या हो रही है. अब किसी भी थाना क्षेत्र में आधा घंटा से अधिक समय तक सड़क जाम होने पर संबंधित लोगों पर थानाध्यक्ष नामजद प्राथमिकी दर्ज करेंगे. जाम की वीडियोग्राफी भी कराये जाने का निर्देश दिया गया है. उन्होंने कहा कि प्रत्येक थानाध्यक्ष अपने थाना क्षेत्र के प्रमुख लोगों, संगठन, जाति विशेष का मोबाइल नंबर पास रखे, ताकि आपात स्थिति में उनकी मदद ली जा सके.
लिखित में मांगे जख्म प्रतिवेदन
जिले में 11 हजार लंबित मामलों के निष्पादन में आ रही समस्याओं से आइजी अवगत हुए. उन्हें बताया गया कि ज्यादातर मामलों में जख्म प्रतिवेदन जल्दी नहीं मिलने पर केस का निष्पादन प्रभावित हो जाता है. आइजी ने कहा कि संबंधित चिकित्सा पदाधिकारी से पुलिस अफसर लिखित में जख्म प्रतिवेदन मांगे. उन्होंने सभी डीएसपी व इंस्पेक्टर को पर्यवेक्षण में तेजी लाने के साथ प्रत्येक माह कम से कम सौ केस का पर्यवेक्षण करने का निर्देश दिया. वही प्रत्येक माह शिकायत से दुगुना केस का निष्पादन करने का लक्ष्य दिया गया है.
थानाध्यक्ष को देना होगा प्रमाण पत्र : अब प्रत्येक थानाध्यक्ष को कोर्ट परिवाद का मामला लंबित नहीं रखने का प्रमाण पत्र देना होगा. अक्सर यह शिकायत मिलती है कि कोर्ट परिवाद के आधार पर थानों में केस दर्ज करने में आनाकानी होती है. किसी-किसी मामले को कई माह तक लटका दिया जाता है. आइजी ने कहा कि हर माह अब थानाध्यक्ष यह प्रमाण पत्र देंगे कि उनके थाने में कोर्ट परिवाद का कोई मामला लंबित नहीं है.
41 (सी) का करे उपयोग
आइजी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करते हुए सात साल के कम सजा वाले में मामले में 41 (सी) के तहत मामलों का निष्पादन करने को कहा. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इसमें वरीय अधिकारी के निर्देश का पालन करे. उन्होंने थानाध्यक्षों को पांच साल के अंदर साम्प्रदायिक व भूमि विवाद के मामलों की सूची तैयार करने को कहा . आइजी का कहना था कि सिर्फ त्योहार आने पर ही सम्प्रदायिक मामलों की समीक्षा की जाती है, ऐसा नहीं होना चाहिए.
अगस्त तक करें निबटारा
आइजी ने सीएम के जनता दरबार, मानवाधिकार व सूचना के अधिकार संबंधित सभी मामलों का अगस्त तक निबटारा करने का निर्देश दिया है. ढ़ाई घंटे के मैराथन बैठक में हाइवे क्राइम पर भी कंट्रोल करने पर चर्चा की गयी.